Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Sep 2016 · 1 min read

जय हिंदी जय हिंदी नारा हम सब खूब लगाते हैं

जय हिंदी जय हिंदी नारा हम सब खूब लगाते हैं
बड़े बड़े आयोजन करके हिंदी दिवस मनाते हैं

सच्चे ज्ञानी वही यहाँ जो फट फट बोलें अंग्रेजी
हिंदी में जो बात करें वे अब गँवार कहलाते हैं

चीख चीख कर जो कहते हैं हिंदी का विस्तार करो
कान्वेंट में पर वो अपने बच्चों को पढ़वाते हैं

कहना है अपना बस इतना अंग्रेजी है ब्रेड बटर
मन संतुष्ट तभी होता जब सब्जी रोटी खाते हैं

पढ़ना है तो पढ़ो इसे सब जैसे एक विषय इंग्लिश
क्यों हिंदी के बदले में हम अंग्रेजी अपनाते हैं

बच्चे बच्चे को हिंदी का पाठ हमें सिखलाना अब
लेकर ये संकल्प चलो हम हिंदी दिवस मनाते हैं

डॉ अर्चना गुप्ता

1 Like · 1 Comment · 532 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
मुझे भी लगा था कभी, मर्ज ऐ इश्क़,
मुझे भी लगा था कभी, मर्ज ऐ इश्क़,
डी. के. निवातिया
राहों में खिंची हर लकीर बदल सकती है ।
राहों में खिंची हर लकीर बदल सकती है ।
Phool gufran
कहां गए (कविता)
कहां गए (कविता)
Akshay patel
विषय -घर
विषय -घर
rekha mohan
*चटकू मटकू (बाल कविता)*
*चटकू मटकू (बाल कविता)*
Ravi Prakash
तुम्हारा मेरा रिश्ता....
तुम्हारा मेरा रिश्ता....
पूर्वार्थ
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो
कवि दीपक बवेजा
समकालीन हिंदी कविता का परिदृश्य
समकालीन हिंदी कविता का परिदृश्य
Dr. Pradeep Kumar Sharma
देश में क्या हो रहा है?
देश में क्या हो रहा है?
Acharya Rama Nand Mandal
* रंग गुलाल अबीर *
* रंग गुलाल अबीर *
surenderpal vaidya
हम भारत के लोग उड़ाते
हम भारत के लोग उड़ाते
Satish Srijan
राधा और मुरली को भी छोड़ना पड़ता हैं?
राधा और मुरली को भी छोड़ना पड़ता हैं?
The_dk_poetry
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
130 किताबें महिलाओं के नाम
130 किताबें महिलाओं के नाम
अरशद रसूल बदायूंनी
तोंदू भाई, तोंदू भाई..!!
तोंदू भाई, तोंदू भाई..!!
Kanchan Khanna
यक्ष प्रश्न है जीव के,
यक्ष प्रश्न है जीव के,
sushil sarna
साँप ...अब माफिक -ए -गिरगिट  हो गया है
साँप ...अब माफिक -ए -गिरगिट हो गया है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
बंद करो अब दिवसीय काम।
बंद करो अब दिवसीय काम।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
🙏🏻 अभी मैं बच्चा हूं🙏🏻
🙏🏻 अभी मैं बच्चा हूं🙏🏻
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
चांद कहां रहते हो तुम
चांद कहां रहते हो तुम
Surinder blackpen
#व्यंग्य_काव्य
#व्यंग्य_काव्य
*Author प्रणय प्रभात*
कुर्सी खाली कर
कुर्सी खाली कर
Shekhar Chandra Mitra
समा गये हो तुम रूह में मेरी
समा गये हो तुम रूह में मेरी
Pramila sultan
हां....वो बदल गया
हां....वो बदल गया
Neeraj Agarwal
"फुटपाथ"
Dr. Kishan tandon kranti
आदमी की गाथा
आदमी की गाथा
कृष्ण मलिक अम्बाला
जब ऐसा लगे कि
जब ऐसा लगे कि
Nanki Patre
काश़ वो वक़्त लौट कर
काश़ वो वक़्त लौट कर
Dr fauzia Naseem shad
पकड़ मजबूत रखना हौसलों की तुम
पकड़ मजबूत रखना हौसलों की तुम "नवल" हरदम ।
शेखर सिंह
Loading...