** जमाने का और ही इरादा**
मैं ठहरा सीधा-साधा
जमाने का और ही इरादा।
महसूस किया जीवन में मैंने
सच्चाई के पथ पर आती अनेकों बाधा।।
फिर भी बदला नहीं मैंने अपना इरादा ।
कभी तो मिलेगी जीत
और
कुछ ना चाहूं इससे ज्यादा ।।
वैसे मुझे तोड़ने का ,
बहुत ही यत्न किया।
झूठ ने अपने साथ जोड़ने का,
भरपूर प्रयत्न किया ।।
कैसे छोड़ सकता था ,
सच का साथ ।
होश संभाला तबसे ही मैंने ।
किया था उससे वादा।
जमाने का और ही इरादा ।।
देर हो जाए चलेगा ,
सत्य का फल
कभी न कभी तो फलेगा।
अनुनय खलने दो खलने वालों को,
कब तक खलेगा।
आज नहीं तो कल ,
अंत में सत्य ही चलेगा ।।
अटल रखो बस अपना इरादा।
जमाने का और ही इरादा।।
राजेश व्यास अनुनय