जब हमारी अभिलाषाएं शांत हो जाएँ
1.
जब हमारी अभिलाषाएं शांत हो जाएँ
जब हमारी कोमल, भावनाएं हो जाएँ
जब हम मानवता के पुजारी हो जाएँ
हम समझें कि हम परमेश्वर की कृपा के धनी हैं
2.
जब अतिथि सत्कार होने लगे
जब गरीबों पर दया की जाने लगे
जब भिक्षुक भोजन पाने लगें
समझो मानवता अपने शिखर पर है