— जब से आये सीरियल सास बहु के —
जब से आये सीरिअल
सास और बहु के
न जाने कहाँ कहाँ से
गढ़ लिए नये तराने सब ने
सब को एक बहाना मिला
सीरिअल का सफ़र सुहाना मिला
जरा सा भी कहीं मिस न हो जाए
घर में राड़ का फ़साना मिला
पति बेचारा लाचार हो गया
चाय का भी मोहताज हो गया
सोचता कुछ है घर आते आते
मिलता कुछ है घर में आके
फिर कहती है सास बहु से
तेरा वाला तो गुलाम हो गया
आते ही लग गया काम पर
भला आदमी देखो बदनाम हो गया
जिस को कह दे वो दौड़े लड़ने को
मैं कैसे छोड़ दू सीरिअल
सुबह से तो अब आराम मिला है
उस आराम को मैं कैसे छोड़ दू
सच में घर में महाभारत हो चुकी
जिस घर में यह सीरिअल घुस गए
शक के घेरे में रोजाना ये नए नए
फसाद भी संग संग ही घुस गए
न जाने क्या बनेगा आने वाली पीढ़ी का
जैसा देखेगी वैसा ही करेगी
या तो किसी का घर उजड़ेगा या
कोर्ट में तलाक की अपील गूंजेगी
अजीत कुमार तलवार
मेरठ