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4 Feb 2021 · 1 min read

जब वक्त खराब हो

जब वक्त खराब हो”

कोरोना की इस महामारी में,

जहाँ भयंकर वायरस में बचता रहा मैं,

डटा रहा मैं अपने कर्तव्य-कार्य में,

पर कहते हैं जब वक्त खराब हो,

तब कहीं नहीं जाना होता हैं,

तब वक्त……..,

घर में घुस कर वार कर जाता हैं,

मानो कंगाली में आटा गिला कर जाता हैं,

महामारी के प्रकोप में, काम-धंधे भी ठप पड़े,

सारी अर्थव्यवस्था भी चरमरा पड़ी,

ऊपर से सैलरी का कोई ठिकाना नहीं,

जीवन डग-मगा के चला रहे हैं,

मानो अकाल में जीवन चला रहे हैं,

जैसे-तैसे महामारी से बच रहे थे,

तब देखो पागल कुत्ते का वार,

आकर घर में कर गया बड़ा वार,

कर गया बड़ा शरीर पर दर्दनाक वार,

असहनीय पीड़ा का था वार,

दर्द-दवाई का भी था भारी,

बात इलाज की थी जरूरी,

पैसों में बात अड़ी-पड़ी थी,

करते इलाज में यदि चूक,

अब तक का जीवन का,

सँघर्ष भी हो जाता खत्तम,

जीवन तो हैं एक सँघर्ष,

जीना तो हर हाल में होता हैं,

वक्त तो एक पहिया हैं ,

कभी ऊपर तो कभी नीचे,

ये तो चलता रहता हैं,

हमे भी संग-संग चलना होता हैं !!

चेतन दास वैष्णव

गामड़ी नारायण

बाँसवाड़ा

राजस्थान

20/09/020

Language: Hindi
2 Likes · 3 Comments · 264 Views
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