जब मन मुताबिक़, मिलता नहीं l
जब मन मुताबिक़, मिलता नहीं l
कोई भी खबर, लेता नहीं ll
सहज मतलब, दिखता नही l
कोई भी सहज, देता नही ll
कोई भी सुखी, दिखता नहीं l
जब सहज खुद में, उड़ता नही l
क्या रिश्ता, दोस्त और प्रीत l
जब सहज, खिलता खुलता नहीं ll
आदर व प्रीत, बस बेमानी l
युग में, सही मन मिलता नही ll
जो विषय प्यास, भूलता सही ll
चिंताओं में, झूलता नहीं l
अरविन्द व्यास “प्यास”