Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Jan 2017 · 1 min read

जब भी तेरी यादो मे खोया करते है.

जब भी तेरी यादो मे खोया करते है.
अपने आप को कुछ
इस कद्र बिखेरा करते है.

आँख मे शबनम,
लफ्ज़ो मे तेरा नाम
जपते रहते है.

खुली आँख के साथ साथ,
बन्द अांखो मे भी अक्स
तेरा होता हैं.

तेरे कदमो के निशाँ को
खुरेदने मे सुबह शाम
एक किया करते हैं.
हम कुछ इस अंदाज़ मे
खुद को बिखेर लिया करते है.

भूपेन्द्र रावत
4-12-2016

1 Like · 478 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
* शरारा *
* शरारा *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
माँ सिर्फ़ वात्सल्य नहीं
माँ सिर्फ़ वात्सल्य नहीं
Anand Kumar
तुम्हारी आँखें कमाल आँखें
तुम्हारी आँखें कमाल आँखें
Anis Shah
सावन महिना
सावन महिना
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
लघुकथा- धर्म बचा लिया।
लघुकथा- धर्म बचा लिया।
Dr Tabassum Jahan
परिवार
परिवार
Sandeep Pande
समाज में शिक्षा का वही स्थान है जो शरीर में ऑक्सीजन का।
समाज में शिक्षा का वही स्थान है जो शरीर में ऑक्सीजन का।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
आपका समाज जितना ज्यादा होगा!
आपका समाज जितना ज्यादा होगा!
Suraj kushwaha
■ सामयिक सवाल...
■ सामयिक सवाल...
*Author प्रणय प्रभात*
🌷 सावन तभी सुहावन लागे 🌷
🌷 सावन तभी सुहावन लागे 🌷
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
*यूँ आग लगी प्यासे तन में*
*यूँ आग लगी प्यासे तन में*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*ऐनक (बाल कविता)*
*ऐनक (बाल कविता)*
Ravi Prakash
"वो हसीन खूबसूरत आँखें"
Dr. Kishan tandon kranti
आप हो
आप हो
Dr.Pratibha Prakash
कागज़ ए जिंदगी
कागज़ ए जिंदगी
Neeraj Agarwal
लड़की कभी एक लड़के से सच्चा प्यार नही कर सकती अल्फाज नही ये
लड़की कभी एक लड़के से सच्चा प्यार नही कर सकती अल्फाज नही ये
Rituraj shivem verma
!! एक चिरईया‌ !!
!! एक चिरईया‌ !!
Chunnu Lal Gupta
रमेशराज के विरोधरस दोहे
रमेशराज के विरोधरस दोहे
कवि रमेशराज
कितना
कितना
Santosh Shrivastava
उतर जाती है पटरी से जब रिश्तों की रेल
उतर जाती है पटरी से जब रिश्तों की रेल
हरवंश हृदय
इश्क मुकम्मल करके निकला
इश्क मुकम्मल करके निकला
कवि दीपक बवेजा
परिवार का सत्यानाश
परिवार का सत्यानाश
पूर्वार्थ
रिश्ते-नाते स्वार्थ के,
रिश्ते-नाते स्वार्थ के,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
“ धार्मिक असहिष्णुता ”
“ धार्मिक असहिष्णुता ”
DrLakshman Jha Parimal
आपस की गलतफहमियों को काटते चलो।
आपस की गलतफहमियों को काटते चलो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
गाँव कुछ बीमार सा अब लग रहा है
गाँव कुछ बीमार सा अब लग रहा है
Pt. Brajesh Kumar Nayak
कर्म कभी माफ नहीं करता
कर्म कभी माफ नहीं करता
नूरफातिमा खातून नूरी
मुझको चाहिए एक वही
मुझको चाहिए एक वही
Keshav kishor Kumar
हमने भी ज़िंदगी को
हमने भी ज़िंदगी को
Dr fauzia Naseem shad
23/54.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/54.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...