Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Aug 2020 · 1 min read

जब दिल से दिल का मिलन हुआ

जब मिलने को घण्टों बैठा, तब समझा इंतजार क्या है?
जब दिल से दिल का मिलन हुआ,तब ये जाना कि प्यार क्या है?

रहकर संग तुम्हारे ही तो, सब कुछ अब मैं जान गया हूँ।
अपने और पराये में मैं, अंतर को पहचान गया हूँ।
सूरत चाहे कैसी भी हो,पर दिल हरदम ही साफ मिले।
इतना ध्यान प्यार में हो जो, तब ही सबको इंसाफ मिले।

जब तुमसे मैं जो दूर हुआ,तब जाना कि तकरार क्या है?
जब दिल से दिल का मिलन हुआ,तब ये जाना कि प्यार क्या है?

मिलती है खुशियाँ अपार जो, लफ्जों में बयाँ न हो पाये।
देखे अपने प्रियतम को तो, चेहरा फूल सा खिल जाये।
करते हैं जो सदा भरोसा, उनका प्रतिदिन ही प्रीत बढ़े।
चलकर ही इस कठिन डगर पर,अब फिर ये पावन रीत बढ़े।

जब मुझे देख तुम मुँह फेरे, तब जाना कि इनकार क्या है?
जब दिल से दिल का मिलन हुआ,तब ये जाना कि प्यार क्या है?

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 6 Comments · 421 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आपका आकाश ही आपका हौसला है
आपका आकाश ही आपका हौसला है
Neeraj Agarwal
खुशी ( Happiness)
खुशी ( Happiness)
Ashu Sharma
अभी और कभी
अभी और कभी
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
कौन कितने पानी में
कौन कितने पानी में
Mukesh Jeevanand
बेरोजगारी मंहगायी की बातें सब दिन मैं ही  दुहराता हूँ,  फिरभ
बेरोजगारी मंहगायी की बातें सब दिन मैं ही दुहराता हूँ, फिरभ
DrLakshman Jha Parimal
■ सारा खेल कमाई का...
■ सारा खेल कमाई का...
*Author प्रणय प्रभात*
एक दिन का बचपन
एक दिन का बचपन
Kanchan Khanna
वो तुम्हारी पसंद को अपना मानता है और
वो तुम्हारी पसंद को अपना मानता है और
Rekha khichi
हिंदी दलित साहित्यालोचना के एक प्रमुख स्तंभ थे डा. तेज सिंह / MUSAFIR BAITHA
हिंदी दलित साहित्यालोचना के एक प्रमुख स्तंभ थे डा. तेज सिंह / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
ऑंसू छुपा के पर्स में, भरती हैं पत्नियॉं
ऑंसू छुपा के पर्स में, भरती हैं पत्नियॉं
Ravi Prakash
3307.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3307.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
इंसान
इंसान
Vandna thakur
रिश्तों से अब स्वार्थ की गंध आने लगी है
रिश्तों से अब स्वार्थ की गंध आने लगी है
Bhupendra Rawat
'आलम-ए-वजूद
'आलम-ए-वजूद
Shyam Sundar Subramanian
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
स्वतंत्रता दिवस
स्वतंत्रता दिवस
Dr Archana Gupta
💐प्रेम कौतुक-408💐
💐प्रेम कौतुक-408💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
"निखार" - ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
जब किसी कार्य के लिए कदम आगे बढ़ाने से पूर्व ही आप अपने पक्ष
जब किसी कार्य के लिए कदम आगे बढ़ाने से पूर्व ही आप अपने पक्ष
Paras Nath Jha
मैं माँ हूँ
मैं माँ हूँ
Arti Bhadauria
मेरी माँ
मेरी माँ
Pooja Singh
शुरुआत जरूरी है
शुरुआत जरूरी है
Shyam Pandey
लोग गर्व से कहते हैं मै मर्द का बच्चा हूँ
लोग गर्व से कहते हैं मै मर्द का बच्चा हूँ
शेखर सिंह
हे!जगजीवन,हे जगनायक,
हे!जगजीवन,हे जगनायक,
Neelam Sharma
जैसे को तैसा
जैसे को तैसा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"एकता"
Dr. Kishan tandon kranti
सोशल मीडिया पर दूसरे के लिए लड़ने वाले एक बार ज़रूर पढ़े…
सोशल मीडिया पर दूसरे के लिए लड़ने वाले एक बार ज़रूर पढ़े…
Anand Kumar
🌱मैं कल न रहूँ...🌱
🌱मैं कल न रहूँ...🌱
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
रमेशराज के वर्णिक छंद में मुक्तक
रमेशराज के वर्णिक छंद में मुक्तक
कवि रमेशराज
मातु शारदे वंदना
मातु शारदे वंदना
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
Loading...