Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jun 2021 · 1 min read

जब तक मैं कंवारा था

जब तक मैं कंवारा था
मजाक और झूठ का अंतर नही समझ पाया
अब जानता हूँ सच तो लोग खुद से भी नही बोल पाते

जब तक मैं कंवारा था
किसी को दर्द में देख उदास हो जाता था
अब देखता हूं तेहरवीं का जश्न तो छटी से बड़ा होता है

जब तक मैं कंवारा था
मानता था मुझे कोई दर्द नही, मेरी माँ है तो
अब जानता हूँ कुछ दर्द किसी को बताए तक नही जाते

जब तक मैं कंवारा था
लगता था पापा कुछ भी ला सकते है,मेरी खुशी के लिये
अब लगता है बच्चों की खुशी की कीमत जिंदगी के बीस साल होती है

जब तक मैं कंवारा था
आंखों में हूरों के सपने तैरते थे
अब पहचान हुई उनके चेहरों के पीछे कितनी कालिख पुती होती है

जब तक मैं कंवारा था
मुझे बताया गया एक नौकरी और एक पत्नी काफी है
अब बताने से भी कतराता हूँ शर्माजी, वो सब एक गलतफहमी होती है

जब तक मैं कंवारा था
मुझे कुंवारेपन से चिढ़ सी होती थी
अब चाहता हूँ ताउम्र उसी में गुजरती तो अच्छा होता

प्रवीनशर्मा
मौलिक स्वरचित

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 243 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सिलसिले..वक्त के भी बदल जाएंगे पहले तुम तो बदलो
सिलसिले..वक्त के भी बदल जाएंगे पहले तुम तो बदलो
पूर्वार्थ
विश्वास मिला जब जीवन से
विश्वास मिला जब जीवन से
TARAN VERMA
मुस्कान
मुस्कान
Surya Barman
मानवता
मानवता
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
2521.पूर्णिका
2521.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
"बताओ"
Dr. Kishan tandon kranti
समीक्षा ,कर्त्तव्य-बोध (कहानी संग्रह)
समीक्षा ,कर्त्तव्य-बोध (कहानी संग्रह)
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
दोहे- दास
दोहे- दास
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
गमों ने जिन्दगी को जीना सिखा दिया है।
गमों ने जिन्दगी को जीना सिखा दिया है।
Taj Mohammad
लिपटी परछाइयां
लिपटी परछाइयां
Surinder blackpen
बनारस के घाटों पर रंग है चढ़ा,
बनारस के घाटों पर रंग है चढ़ा,
Sahil Ahmad
मैं
मैं "आदित्य" सुबह की धूप लेकर चल रहा हूं।
Dr. ADITYA BHARTI
महिलाएं जितना तेजी से रो सकती है उतना ही तेजी से अपने भावनाओ
महिलाएं जितना तेजी से रो सकती है उतना ही तेजी से अपने भावनाओ
Rj Anand Prajapati
■ विकृत परिदृश्य...
■ विकृत परिदृश्य...
*Author प्रणय प्रभात*
कितनी प्यारी प्रकृति
कितनी प्यारी प्रकृति
जगदीश लववंशी
💐प्रेम कौतुक-432💐
💐प्रेम कौतुक-432💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कुछ तो पोशीदा दिल का हाल रहे
कुछ तो पोशीदा दिल का हाल रहे
Shweta Soni
प्राप्ति
प्राप्ति
Dr.Pratibha Prakash
एकतरफा सारे दुश्मन माफ किये जाऐं
एकतरफा सारे दुश्मन माफ किये जाऐं
Maroof aalam
लिख / MUSAFIR BAITHA
लिख / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
सावन के झूलें कहे, मन है बड़ा उदास ।
सावन के झूलें कहे, मन है बड़ा उदास ।
रेखा कापसे
सब छोड़कर अपने दिल की हिफाजत हम भी कर सकते है,
सब छोड़कर अपने दिल की हिफाजत हम भी कर सकते है,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
बुढ़ापे में अभी भी मजे लेता हूं (हास्य व्यंग)
बुढ़ापे में अभी भी मजे लेता हूं (हास्य व्यंग)
Ram Krishan Rastogi
नौका को सिन्धु में उतारो
नौका को सिन्धु में उतारो
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
रूपेश को मिला
रूपेश को मिला "बेस्ट राईटर ऑफ द वीक सम्मान- 2023"
रुपेश कुमार
उलझनें हैं तभी तो तंग, विवश और नीची  हैं उड़ाने,
उलझनें हैं तभी तो तंग, विवश और नीची हैं उड़ाने,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
संवेदनाओं का भव्य संसार
संवेदनाओं का भव्य संसार
Ritu Asooja
वक्ता का है तकाजा जरा तुम सुनो।
वक्ता का है तकाजा जरा तुम सुनो।
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
एक तो गोरे-गोरे हाथ,
एक तो गोरे-गोरे हाथ,
SURYA PRAKASH SHARMA
जब अपने सामने आते हैं तो
जब अपने सामने आते हैं तो
Harminder Kaur
Loading...