“””जब जुड़ जाए प्रीत की डोर”””
होता प्यार बड़ा अलबेला, जहां लगता दिलो का मेला।
कोई मजनू बन कर घूमे, कोई बन जाती वहां लेला।
दिल से दिल मिल जाते ,वादे क्या क्या कर जाते।
मनवा का नाचे मोर ,जब जुड़ जाए प्रीत की डोर।।
प्यार न कुछ भी चाहे, यह दिल जिस पे आ जाएं ।
दिन-रात उसी को चाहे, भरता रहता यह आहे।
उठे उठे हृदय में हिलोर,जब जुड़ जाए प्रीत की डोर।।
प्रीतम से हो मुलाकातें ,दिल करना चाहे बातें।
काटे नहीं कटती रातें, प्यार के ऐसे ही नाते।
न किसी का इस पर जोर, जब जुड़ जाए प्रीत की डोर।।
जब दो दिल है मिल जाते, स्वप्न नए हैं सजाते।
गीत खुशी के गाते, जीवन में खुशियां पाते।
करना अनुनय इस पर भी गौर, जब जुड़ जाएं प्रीत की डोर।।
राजेश व्यास अनुनय