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6 May 2020 · 1 min read

जन्मदात्री माँ

माँ वही है जिसके कदमों में बसता है सारा जहां ।
कहां भटकता है मनवा तू स्वर्ग तो है सारा यहां ।।

जिसने नौ दस मास तुझे अपनी कोख में धारा ।
जिसने शैशव काल में अपने आंचल में दुलारा ।।

उस माँ ने तुझे उंगली पकड़कर चलना सिखाया ।
उसके बोलना सिखाने पर प्यारे तुझे बोलना आया ।।

खुद गीले में सोकर उसने सूखे में तुझे सुलाया ।
दूध पिलाकर भूख से कभी न तुझे रुलाया ।।

मां की महिमा क्या कहें जग में सबसे ऊंचा स्थान है ।
क्या तीरथ करने जाता तू माँ चरणों में ही भगवान है ।।

मां को कभी दुखी ना करना सेवा करना उसकी सदा ।
उसको खुश रखकर “ओम्” करना दूध का कर्ज अदा ।।

ओमप्रकाश भारती “ओम्”

Language: Hindi
6 Likes · 3 Comments · 528 Views
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