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30 Dec 2018 · 1 min read

जनवरी फिर जवां हुई

बूढ़ा दिसम्बर जवां जनवरी के कदमों मे बिछ रहा है
लो, इक्कीसवीं सदी को उन्नीसवाँ साल लग रहा है

अठारह पूरे कर अंगड़ाई लेकर ऐसे मचल रहा है
जैसे चंचल मन को संभालना मुश्किल हो रहा है

ठंड, कोहरे का आलम है, रजाई में दुबका-सा पड़ा है
जवानी का सुरूर है, नए-नए सपने बुन रहा है

दुःख, सुख और अनुभवों के साथ दिसम्बर अलविदा कह रहा है
नई उमंग, नई तरंग और न जाने जनवरी साथ क्या- क्या ला रहा हैं

दिसम्बर की शीत, ठंड, ठिठुरन ने सबको जकड़ रखा है
जनवरी की लोहड़ी ने मूंगफली, रेवड़ी, हर्षोल्लास भर रखा है

ऐसे ही हर माह जवानी की सीढ़ियां चढ़ता जाएगा
और इसी जवानी को एक बार फिर बुढ़ापा जकड़ जाएगा

-शिखा शर्मा

Language: Hindi
3 Likes · 1 Comment · 224 Views
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