Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Dec 2016 · 1 min read

जनक छंद में तेवरी

तेवरी काव्य
जनक छंद में तेवरी –एक कोशिश
०००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००००
छंद विधान:
मापनी: हर प्रथम पंक्ति में मात्राएँ 22 22 २12 =13
हर दुसरी पंक्ति में 22 22 २12, 22 22 २12 अर्थात इस तरह 13,13 पर यति
गंदे से इंसान सा
टुकड़े जैसे दान सा,मत सहना अपमान तुम.
थूके जैसे पान सा
अधमर जैसी जान सा, मत सहना अपमान तुम.
बहरे-बहरे कान सा
रोने जैसी तान सा, मत सहना अपमान तुम.
सूखे-सूखे धान सा
अहसानों से मान सा, मत सहना अपमान तुम.
बिन कारण अभिमान सा
अधकचरे से ज्ञान का, मत सहना अपमान तुम.
हरगिज़ झूठी शान सा
हर पल तीर कमान सा, मत सहना अपमान तुम.
झूठे से गुणगान सा
बस नकली तूफ़ान सा, मत सहना अपमान तुम.
@ Sahaj Sahaj (डॉ.रघुनाथ मिश्र ‘सहज’)

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 751 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
उनकी जब ये ज़ेह्न बुराई कर बैठा
उनकी जब ये ज़ेह्न बुराई कर बैठा
Anis Shah
सृजन पथ पर
सृजन पथ पर
Dr. Meenakshi Sharma
इतना कभी ना खींचिए कि
इतना कभी ना खींचिए कि
Paras Nath Jha
पुण्य आत्मा
पुण्य आत्मा
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
हर चेहरा है खूबसूरत
हर चेहरा है खूबसूरत
Surinder blackpen
मानो जीवन को सदा, ट्वंटी-ट्वंटी खेल (कुंडलिया)
मानो जीवन को सदा, ट्वंटी-ट्वंटी खेल (कुंडलिया)
Ravi Prakash
मिलो ना तुम अगर तो अश्रुधारा छूट जाती है ।
मिलो ना तुम अगर तो अश्रुधारा छूट जाती है ।
Arvind trivedi
जिन पांवों में जन्नत थी उन पांवों को भूल गए
जिन पांवों में जन्नत थी उन पांवों को भूल गए
कवि दीपक बवेजा
💐अज्ञात के प्रति-37💐
💐अज्ञात के प्रति-37💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जीवन के अंतिम पड़ाव पर लोककवि रामचरन गुप्त द्वारा लिखी गयीं लघुकथाएं
जीवन के अंतिम पड़ाव पर लोककवि रामचरन गुप्त द्वारा लिखी गयीं लघुकथाएं
कवि रमेशराज
"अनकही सी ख़्वाहिशों की क्या बिसात?
*Author प्रणय प्रभात*
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"दुर्भिक्ष"
Dr. Kishan tandon kranti
2896.*पूर्णिका*
2896.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तेरे पास आए माँ तेरे पास आए
तेरे पास आए माँ तेरे पास आए
Basant Bhagawan Roy
गांव
गांव
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
विश्व कविता दिवस
विश्व कविता दिवस
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
आज आंखों में
आज आंखों में
Dr fauzia Naseem shad
चाहने लग गए है लोग मुझको भी थोड़ा थोड़ा,
चाहने लग गए है लोग मुझको भी थोड़ा थोड़ा,
Vishal babu (vishu)
माई बेस्ट फ्रैंड ''रौनक''
माई बेस्ट फ्रैंड ''रौनक''
लक्की सिंह चौहान
अब रिश्तों का व्यापार यहां बखूबी चलता है
अब रिश्तों का व्यापार यहां बखूबी चलता है
Pramila sultan
दारू की महिमा अवधी गीत
दारू की महिमा अवधी गीत
प्रीतम श्रावस्तवी
किसी के साथ की गयी नेकी कभी रायगां नहीं जाती
किसी के साथ की गयी नेकी कभी रायगां नहीं जाती
shabina. Naaz
जब-जब मेरी क़लम चलती है
जब-जब मेरी क़लम चलती है
Shekhar Chandra Mitra
कोहिनूराँचल
कोहिनूराँचल
डिजेन्द्र कुर्रे
अपना गाँव
अपना गाँव
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
मजदूर की बरसात
मजदूर की बरसात
goutam shaw
वट सावित्री अमावस्या
वट सावित्री अमावस्या
नवीन जोशी 'नवल'
समय को पकड़ो मत,
समय को पकड़ो मत,
Vandna Thakur
लोगो का व्यवहार
लोगो का व्यवहार
Ranjeet kumar patre
Loading...