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5 May 2017 · 1 min read

जगे युवा-उर तब ही बदले दुश्चिंतनमयरूप ह्रास का

तरुण जाग जाए, तब विकसित राष्ट्र,भाल छूता विकास का।
अगर सो गया, भ्रम ,हिंसा औ अवनतिमय दुश्चक्र नाश का।
जस मानव,वैसा स्वदेश है,सत्य बात सुनिए सुविज्ञ जन।
जगे जवानी तब ही बदले दुश्चिंतनमयरूप ह्रास का।
……………………………………………………….

बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रोंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता

जागा हिंदुस्तान चाहिए कृति का मुक्तक

पेज- 19से

05-05-2017

Language: Hindi
487 Views
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