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27 Apr 2017 · 1 min read

” जंगल सी ज़िन्दगी , मेमने से हम ” !!

सरसराती हवाएं ,
कंपकंपाती हैं !
उठता है शोर कहीं ,
नींद जाती है !
संदली खुशबू कहाँ –
समेटते हैं हम !!

अधिकार हाथों में ,
सम्वेदनाएँ खत्म !
सबके हिस्से में ना ,
अब रहे जश्न !
बेचारगी , विवशता –
लपेटते हैं हम !!

कमसिन उमरिया ,
नजरें फिरी फिरी !
नारी नहीं सबला ,
अब भी डरी डरी !
सपनों की खेती –
बिखेरते हैं हम !!

देते वे शहादत ,
नेता हैं सिरफिरे !
केसर की बग़ावत
मधुवन कहाँ संवरे !
बारूदी सपनों को –
उछेरते हैं हम !

पंख रंग बिरंगे ,
हमको नहीं मिले !
हासिल नहीं ज्यादा
कोई नहीं गिले !
जो भी मिली दुआ –
लपेटते हैं हम !!

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 1 Comment · 440 Views
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