छोड़कर चमन को एक पँछी जहाँ से दूर …
श्रंद्धांजलि ????????
“महाकवि गोपालदास नीरज जी को समर्पित मेरी कविता”
छोड़कर चमन को एक पँछी जहाँ से दूर चला गया,
देकर लाख यादोँ को, हमें ग़मगीन कर गया ।
न खिलेगा फुल अब कविताओं का यहाँ,
वो गीत-ग़ज़लों का फ़साना, हमें संगीत दे गया ।
दिखेगा न मंच पर माहौल अब, सुकूँ दिल को देने वाला,
जमेगा न रंग महफ़िल का, वो अब बेरंग कर गया ।
यादें बीते लम्हों की समेटे भी सिमटती हैं,
हमें वो छोड़कर अकेला, दिलों में दर्द दे गया ।
कह गया जाने से पहले, विदा करना ख़ुश हो करके,
वो कहते-लिखते-गाकर के, हमें ख़ुशी से संदेश दे गया ।
छोड़कर चमन को एक पंछी जहाँ से दूर चला गया..
यूँ देकर लाख यादों को, हमें ग़मगीन कर गया ।।
आर एस बौद्ध “आघात”
8475001921