” छुट्टियाँ “
आये आये दिन आये
छुट्टियों के देखो दिन आये ,
अब मस्ती सैर – सपाटा होगा
टीचर का नही चाँटा होगा ,
देर से सो कर उठना है
पाठ नही अब रटना है ,
खाओ पियो मौज करो
रोज़ मॉल की सैर करो ,
हम बच्चों को भाती छुट्टियाँ
रोज़ क्यों नही आती छुट्टियाँ ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 04/10/2016 )