छतीसगढ़ी ::प्यास मरत हन ::
हमू ला कछु निशानी दे दो
चुहके बर आमा चानी दे दो
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मरत प्यास हन जम के भइय्या
मतलहा तनक, पानी दे दो
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रहीम घला, भला राम बने
अलगु-जुम्मन,कहानी दे दो
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इहां चांउर दु ठोम्हा खातिर
हमर अंगठा निशानी दे दो
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कटत नइये, बुढापा अमसुर
हमर मागे ,जवानी दे दो
सुशील यादव