छंदमुक्त कविता
विषय-कोरोना काल में संबंधों की कसौटी पर
जब से शुरू हुआ कोरोना काल
अपने भी न पास आये इस साल।
रहते सब एक दूसरे से दूर-दूर,
हुए हैं कंगाल ,बेबस, मजबूर।
जब घर बैठे गया कमाने वाला,
खफा सा रहने लगा खाने वाला।
कोरोना पाज़िटिव कोई हो जाए,
अकेले कैसे घर में बन्द हो जाए।
कैसी छुआछूत की बीमारी आयी
कैसी तबाही और बेकारी आयी।
मालिक! सब कुछ ठीक कर देना तु,
वक्त के मरहम से जख्म भर देना तु।
नूरफातिमा खातून “नूरी”
(शिक्षिका)
जिला-कुशीनगर