चौपइ छंद
रक्त दान से खुशी अपार
अब सब मिल करना बारम्बार।
करे रक्त कमियों को पूर।
जीवन से यह है भरपूर।
आओ वीरो को कर गान।
देश सपूतों का कर मान।
अब राष्ट्र का कर सम्मान।
मकर पर्व की खुशियाँ ठान।
रोगी से क्यों रूठे भाय।
क्या समझे आफत है आय।
रोगी को करें रक्त का दान ।
रिश्तों का करें सम्मान
रिश्ते मे हो पडी दरार।
भाई भाई मे हो रार।
रक्त दान केवल कर यार।
भाई भाभी से हो प्यार।
कर कवि घाघ को फिर से याद।
नमन करें अब इसके बाद।
देते हमको ज्ञान जो आप।
खेती का ना बिगड़े ताप।
जब भी किया रक्त का दान।
दिया तभी जीवन वरदान।
सब मिल करें रक्त का दान।
खुशियों का कर लें सम्मान।
आओ वीरो को करें नमन।
देश सपूतों तुम्हें नमन।
आज राष्ट्र को चमन बनाय।
मकर पर्व की खुशी मनाय।
रक्त का दान पर्व महान
पावन मंगल कर्म समान
अपना संकल्प उठाओ यार।
घर घर बाटों खुशियाँ प्यार।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव,” प्रेम”