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5 Aug 2019 · 1 min read

चौकीदार

गम़्माज़ चौकीदार।

खिल-खिलाती जिंदगानी लिखूं।
बहते हुए दरिया का पानी लिखूं।

एहतियातन याद न रखूं एहसासअपने,
एहतियाज होतो पूरी मुंहजबानी लिखूं।

मोहब्बती ताजसजा अब्र केफलक पर,
अहलियाके आंखोंकी निगहबानी लिखूं।

मुल्क गिरफ्तार हुआ जालिमों के हाथ,
उस गम़्माज़ चौकीदारकी कहानी लिखूं।

वालिद की बन्दिश मिलना इक़बाल रहा,
ज़ाकिर खुदाके कलमकी मेहरबानी लिखूं।

————“————
गम़्माज़= भेदिया, चुगलीबाज। एहतियातन= बचाव की दृष्टि से, सावधानी से।। एहतियाज= आवश्यकता। अब्र= बादल, घटा। अहलिया= पत्नी, स्त्री, जोरू। निगहबानी= देखरेख, रखवाली। बन्दिश = रचना, शैली की सुन्दरता।। इक़बाल= सौभाग्य, सफलता। ज़ाकिर= कृतज्ञ, याद करते हुए।

Rishikant Rao Shikhare
23-06-2019

Language: Hindi
456 Views
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