चुनाव
चुनाव
——–
चुनावों की भी
अजब माया है,
चुनाव के आगे
कोरोना भी सरमाया है।
अब तो कोरोना
थोड़ा आराम करेगा,
राजनीति के सच्चे झूठे वादों का
भरपूर आनंद लेगा।
दल बदल का खेल देख ही रहा है,
नेताओं की बेशर्मी पर
सिर धुन रहा है,
चुनावी रंग ढंग समझने की
कोशिश कर रहा है।
ये तो महज झांकी है
अभी तो खेल बहुत बाकी है,
अभी तो कुर्सी के लिए भी
जोड़ तोड़ होगा,
बिकने खरीदने का भी बाजार लगेगा।
एक दूसरे को गालियाँ देने वाले
गलबहियाँ डाल
दोस्ती वफादारी का दंभ भरेंगे,
कुर्सी पाने के लिए
अपना जमीर तो क्या
खुद को भी बेंच देंगे,
जनता से गद्दारी का
प्रमाण भी दे देंगे।
★ सुधीर श्रीवास्तव