चुनाव आ गए
गाँव में सड़क बन रही है, पानी का नल भी लग रहा है ।
समाचार-अख़बार देखकर बताओ, क्या चुनाव आ रहा है ..?
गाँव के हर मोड़ पर, चमकता चेहरा सामने मिट्टी पर खड़ा है ।
सितारे जमीन पर है, शायद आसमान को चुनावी ठेका मिला है ।।
कोई माला पहना रहा है, कोई चरणों में पगड़ी डाले पड़ा है ।
गाँव-देहात मालिक हो रहे हैं, शहर चुनावों में रंगत खो रहा है ।।
बंद पड़ी फैक्टरीयों से बुलाबा आया है, नया काम मिल रहा है ।
चुनाव आ रहे है, तिरंगे झंडे-बैनर बनाने का ऑर्डर मिल रहा है ।।
कलक्टर-एसपी भी आये है, हाथ में बंद फाइलें लाये है ।
गाँव की समस्या जानने, सचिव के साथ प्रधानमंत्री भी आये है।।
कोई कुँए से पानी खींच रहा है, कोई हँसिया पकड़े खेत में खड़ा है ।
चुनावी दौर में, हर कोई द्रोण बन अंगूठा लूटने द्वार पर खड़ा है ।।
मांस-मिठाई, कपड़े-शराब, झोपड़ियों में बांटे जा रहे हैं ।
घीसू के घर दाल भात खाने, संसद से देवता आ रहे हैं ।।
किसान मजदूर माई-बाप हो गए हैं, आतंकी-नक्सली भटके नौजवान ।
अखबारों में नई उम्मीदें छप रही है, फिर से लूटने चुनाव आ गए हैं ।।