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4 Jan 2020 · 1 min read

चुनना न रास्ते कभी जीवन में रार के

चुनना न रास्ते कभी जीवन में रार के
रखना कदम जहाँ बिछे हों फूल प्यार के

हो जाये कितनी दुश्मनी झगड़े यहाँ मगर
होने नहीं ये चाहिए बस आर पार के

अपना पराया भी समझ तब आएगा तुम्हें
देखोगे तंगी में यहाँ जब दिन गुजार के

तुमको दिखाई देगी मुहब्बत भी तब मेरी
अपनी अना का देखना चश्मा उतार के

लगता है एक एक ही पल हमको अब सदी
काटे न कटते लम्हें ये अब इंतज़ार के

जीवन की साँझ में नहीं कुछ चाहिये इन्हें
माता पिता को चाहिये दो बोल प्यार के

की भूल हमने ‘अर्चना’ खोये सुनहरे पल
आएंगे कैसे लौट के वो दिन बहार के

04-01-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

2 Likes · 2 Comments · 443 Views
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