Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Jun 2020 · 2 min read

‘चीन’ क्या भारत के मित्र होंगे ?

चीन-भारत में दोस्ती का मतलब है, गरम पदार्थ के जीभ पर आ जाने से निगलने और उगलने जैसी ! एक समय चीन और भारत के बीच ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ का नारा भी लगे थे । नेपाल के कई भाग और एवरेस्ट पर भारत के दावे थे, चीन के कई प्रान्त भारत के हिस्से रहे हैं, तिब्बत भी !

जब चीन ने तिब्बत को अपने में मिलाया और तिब्बत के सर्वेसर्वा दलाई लामा ने चीनी हंताओं से अपने को बचाने के लिए अपने शिष्यों सहित जब भारत की शरण में आये, तो चीन को अच्छा नहीं लगा। सन 1962 में भारत और चीन में युद्ध हुआ था, इन जैसे कई कारणों को लेकर। इस युद्ध में भारत को जबरदस्त हानि उठानी पड़ी थी। भारत और चीन के बीच हुए 1962 के युद्ध को आजतक कोई नहीं भुला पाया है। यह एक ऐसी टीस है जो हर बार उभर कर सामने आ ही जाती है। इसकी कसक आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है। इस युद्ध का असर आज भी दोनों देशों के रिश्तों पर साफतौर से दिखाई देता है। अंग्रेजों से मिली आजादी के बाद भारत का यह पहला युद्ध था।

एक माह तक चले इस युद्ध में भारत के 1383 सैनिक मारे गए थे जबकि 1047 घायल हुए थे। 1696 सैनिक लापता हो गए थे और 3968 सैनिकों को चीन ने गिरफ्तार कर लिया था। वहीं चीन के कुल 722 सैनिक मारे गए थे और 1697 घायल हुए थे। विदित हो, 14 हजार फीट की ऊंचाई पर लड़े गए इस युद्ध में भारत की तरफ से महज बारह हजार सैनिक चीन के 80 हजार सैनिकों के सामने थे। इस युद्ध में भारत ने अपनी वायुसेना का इस्तेमाल नहीं किया जिसके लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की कड़ी आलोचना भी हुई थी। युद्ध के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर दबाव आया जिन्हें भारत पर चीनी हमले की आशका में असफल रहने का जिम्मेदार ठहराया गया। भारत पर चीनी आक्रमण की आशका की अक्षमता के कारण, प्रधानमंत्री नेहरू को चीन के साथ होने शातिवादी संबंधों को बढ़ावा के लिए सरकारी अधिकारियों से कठोर आलोचना का सामना करना पड़ा।

उस दौरान भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति एस. राधाकृष्णन ने कहा था कि नेहरू की सरकार युद्ध-संबंधी तैयारी के बारे में लापरवाह थी। पं. नेहरू ने भी स्वीकारे कि उस वक्त भारतीय अपनी समझ की दुनिया में ही रहते थे। जहां सेना के पूर्ण रूप से तैयार नहीं होने का सारा दोष तत्कालीन रक्षा मंत्री मेनन पर आ गया, जिनके कारण उन्हें मंत्री पद से त्यागपत्र देने पड़े थे। सिक्किम के भारत में शामिल होने से चीन बौखला गए थे, किन्तु भारत को यूएनओ से साथ मिला। वहीं पाकिस्तान की बौखलाहट अगर भारत के सहयोग से पूर्वी पाकिस्तान का बांग्लादेश बनना होता, तो 1947-48 में पश्चिमी पाकिस्तान को कबाइलियों के वेशभूषा में कश्मीर पर आक्रमण क्यों करने पड़ते ? चीन, पाकिस्तान के लालचपन व उनके लालची होने की गिरफ्त में नेपाल भी आ चुके हैं !

नरेंद्र मोदी की सरकार का सामरिक और कूटनीतिक इच्छाबल अब तक तो दुरस्त और सूझबूझ वाला है, एतदर्थ देश की संकट को उबारने हेतु यह सरकार चातुर्यता दिखाए !

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 212 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
फ़ितरत नहीं बदलनी थी ।
फ़ितरत नहीं बदलनी थी ।
Buddha Prakash
आज की तारीख़ में
आज की तारीख़ में
*Author प्रणय प्रभात*
चाहते हैं हम यह
चाहते हैं हम यह
gurudeenverma198
" बोलती आँखें सदा "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
"औषधि"
Dr. Kishan tandon kranti
खाओ भल्ला या बड़ा ,होता दही कमाल(कुंडलिया)
खाओ भल्ला या बड़ा ,होता दही कमाल(कुंडलिया)
Ravi Prakash
Pardushan
Pardushan
ASHISH KUMAR SINGH
कल रात सपने में प्रभु मेरे आए।
कल रात सपने में प्रभु मेरे आए।
Kumar Kalhans
Sometimes you shut up not
Sometimes you shut up not
Vandana maurya
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
Shashi kala vyas
हमने उनकी मुस्कुराहटों की खातिर
हमने उनकी मुस्कुराहटों की खातिर
Harminder Kaur
दोहा मुक्तक -*
दोहा मुक्तक -*
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
जब जब तुम्हे भुलाया
जब जब तुम्हे भुलाया
Bodhisatva kastooriya
मोहब्बत मुकम्मल हो ये ज़रूरी तो नहीं...!!!!
मोहब्बत मुकम्मल हो ये ज़रूरी तो नहीं...!!!!
Jyoti Khari
इंसान तो मैं भी हूं लेकिन मेरे व्यवहार और सस्कार
इंसान तो मैं भी हूं लेकिन मेरे व्यवहार और सस्कार
Ranjeet kumar patre
देख रही हूँ जी भर कर अंधेरे को
देख रही हूँ जी भर कर अंधेरे को
ruby kumari
Just lost in a dilemma when the abscisic acid of negativity
Just lost in a dilemma when the abscisic acid of negativity
Sukoon
जनता के आवाज
जनता के आवाज
Shekhar Chandra Mitra
--बेजुबान का दर्द --
--बेजुबान का दर्द --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
दिल आइना
दिल आइना
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
एहसास कभी ख़त्म नही होते ,
एहसास कभी ख़त्म नही होते ,
शेखर सिंह
#संवाद (#नेपाली_लघुकथा)
#संवाद (#नेपाली_लघुकथा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
है तो है
है तो है
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
शिक्षक की भूमिका
शिक्षक की भूमिका
Rajni kapoor
मजबूत इरादे मुश्किल चुनौतियों से भी जीत जाते हैं।।
मजबूत इरादे मुश्किल चुनौतियों से भी जीत जाते हैं।।
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
भले उधार सही
भले उधार सही
Satish Srijan
आदिशक्ति वन्दन
आदिशक्ति वन्दन
Mohan Pandey
* विदा हुआ है फागुन *
* विदा हुआ है फागुन *
surenderpal vaidya
3216.*पूर्णिका*
3216.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...