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18 May 2020 · 1 min read

चिड़िया रानी

दूर गगन की चिड़िया रानी,
आकर पीलो थोड़ा पानी ।
दाना चुगते लगेगी प्यास,
कहाँ भटकेगी दूर आकाश,
बिन पानी क्या जीवन का आस,
तन मन तेरा होगा हताश,
है जीवन ईश्वर का दिव्य प्रकाश,
मत करो उसे निराश,
है हमने रखा थोड़ा सा पानी,
अब न कर तू आना कानी
दूर गगन की चिड़िया रानी,
आकर पीलो थोड़ा पानी ।

चु-चु ची-ची करती रहती,
सबके चित का दुख हरती,
जाने कितनी राग सुनाती,
सच पूछो तो तु जन-जन को भाती,
कहाँ कहाँ से आती-जाती,
फड़ फड़ चंचल पंख फैलाती,
थक कर खा लो दाना पानी,
बस हुई अब तेरी मनमानी,
दूर गगन की चिड़िया रानी,
आकर पीलो थोड़ा पानी ।

सुन लो मेरे बंधु -भाई,
तेज धूप वाली गर्मी आई,
छोटी बड़ी जलाशय गर्मी सुखाई,
छोटी चिड़िया कहाँ जा प्यास बुझाई,
है मानव का कर्तव्य हे भाई,
रखो छत पर पानी लाई,
जो पिलाया चिड़िया को पानी,
जीवन रहे उसकी धानी धानी,
दूर गगन की चिड़िया रानी,
आकर पीलो थोड़ा पानी ।

उमा झा

Language: Hindi
14 Likes · 8 Comments · 413 Views
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