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10 Jan 2017 · 1 min read

” चिड़िया चहकी , फुर्र हो गई ” !

पलना नहीं ,
गोद माँ की !
खुश नहीं ,
दादा दादी !
ख़ुशी पिता की ,
कपूर हो गयी !
बेटी दिल से –
दूर हो गई !!

दबी दबी सी ,
चाह रही !
वे उम्मीदें ,
अथाह रही !
उपलब्धियां जब ,
मेल धो गई !
बेटी नजरें –
नूर हो गई !!

बेटों को ,
सौगाते दी !
बदले में बस,
नमी मिली !
वृद्धाश्रम तक ,
दौड़ हो गयी !
बेटी गम से –
चूर हो गयी !!

अंतिम रस्म ,
अभी बाकी !
बेटों से ,
उम्मीदें ना जी !
काँधे तय हो ,
मुहीम हो गयी !
बेटी यों अब –
गुरुर हो गयी !!

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