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7 Dec 2016 · 1 min read

चाहत के मकान में तुम रहती हो

चाहत के मकान में तुम रहती हो
दिल के दरपन में तुम फबती हो

जब पहने हीरे का हार गले में
अप्सरा हसीँ सी मुझको लगती हो

नजरें झुकी झुकी हो जब तेरी
अदा इसी में दिल मेरे खिलती हो

मुस्काँ प्रिया जो तेरे होठों पर
बगिया में फूल की तरह सजती हो

नित्य चली आती हो जब सपने में
ख्यावों सी उठ ख्यालों में नचती है

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