Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Jan 2017 · 1 min read

“चारों और फैला आज उजियारा बहुत है”

चारों और फैला आज
उजियारा बहुत है।
उजियारे में व्याप्त(फैला)
अंधियारा बहुत है।

झुण्ड तो है,इंसानो का
उन इंसानो में भी व्याप्त शैतानों
का पहरा बहुत है।

परिचित आज खुद से इंसान और
खुद से ही इंसान आज अनजाना बहुत है।

गंमगुस्सार का मुखौटा
लगाएं बैठे हुए है सब
आज गम्माजों (भेदिया,चुगलबाज)
का हर कदम पर पहरा बहुत है।

नाउम्मीद में आस की
एक किरण का
आ जाना ही बहुत है।

हर सफलता के पीछे
हार का अफ़साना भी बहुत है।

भूपेंद्र रावत
17।01।2017

1 Like · 303 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हँसी
हँसी
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
पेड़ काट निर्मित किए, घुटन भरे बहु भौन।
पेड़ काट निर्मित किए, घुटन भरे बहु भौन।
विमला महरिया मौज
*मिलता सोफे का बड़ा, उसको केवल पास (कुंडलिया)*
*मिलता सोफे का बड़ा, उसको केवल पास (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
शतरंज
शतरंज
भवेश
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के विरोधरस के गीत
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के विरोधरस के गीत
कवि रमेशराज
कैसे करूँ मैं तुमसे प्यार
कैसे करूँ मैं तुमसे प्यार
gurudeenverma198
महसूस होता है जमाने ने ,
महसूस होता है जमाने ने ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
हमें रामायण
हमें रामायण
Dr.Rashmi Mishra
क्या है नारी?
क्या है नारी?
Manu Vashistha
"सुप्रभात "
Yogendra Chaturwedi
भीख
भीख
Mukesh Kumar Sonkar
"समय क़िस्मत कभी भगवान को तुम दोष मत देना
आर.एस. 'प्रीतम'
उफ़ तेरी ये अदायें सितम ढा रही है।
उफ़ तेरी ये अदायें सितम ढा रही है।
Phool gufran
अंकों की भाषा
अंकों की भाषा
Dr. Kishan tandon kranti
हूं तो इंसान लेकिन बड़ा वे हया
हूं तो इंसान लेकिन बड़ा वे हया
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
वो भी तन्हा रहता है
वो भी तन्हा रहता है
'अशांत' शेखर
மழையின் சத்தத்தில்
மழையின் சத்தத்தில்
Otteri Selvakumar
रिश्ते
रिश्ते
Sanjay ' शून्य'
आइए मोड़ें समय की धार को
आइए मोड़ें समय की धार को
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
मिलो ना तुम अगर तो अश्रुधारा छूट जाती है ।
मिलो ना तुम अगर तो अश्रुधारा छूट जाती है ।
Arvind trivedi
जन-जन के आदर्श तुम, दशरथ नंदन ज्येष्ठ।
जन-जन के आदर्श तुम, दशरथ नंदन ज्येष्ठ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
■ याद रखिएगा...
■ याद रखिएगा...
*Author प्रणय प्रभात*
राम पर हाइकु
राम पर हाइकु
Sandeep Pande
***दिल बहलाने  लाया हूँ***
***दिल बहलाने लाया हूँ***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
अरमान
अरमान
Kanchan Khanna
बल और बुद्धि का समन्वय हैं हनुमान ।
बल और बुद्धि का समन्वय हैं हनुमान ।
Vindhya Prakash Mishra
सूनी बगिया हुई विरान ?
सूनी बगिया हुई विरान ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
3257.*पूर्णिका*
3257.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Sometimes he looks me
Sometimes he looks me
Sakshi Tripathi
सत्य की खोज में।
सत्य की खोज में।
Taj Mohammad
Loading...