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2 Aug 2017 · 1 min read

चांद

अनंत अपार नीले अंबर में में देखो चंद्रमा रह रहा।
बादलों संग गोष्ठी में आज मानों है,उनसे कह रहा-
चहुं ओर पृथ्वी कण कण तक पहुंचने दो शीतला मेरी।
न करो घन,मेघ,बादल मेरी चंद्र आभा संग हेराफेरी।
मेरी झलमल चांदनी से रजनी तम घट जाएगा।
काले अंधेरों सा ग़म जनजीवन से घट जाएगा।
हटो चलो स्याह काले बादल ,
सबकी मुझे आस पूरी करने दो।
हैं निराश जो जीवन से अपने,
अनंत उल्लास उनमें भरने दो।
प्यासे चातक की प्यास,
शीतल चांदनी से बुझने दो।
आज ग़म के बादलों तुम,
खुद को खुद से जूझने दो।

देख रजनीकांत से नीलम सम चमकता परिवेश है।
आज चंद्रमा फिर चकौरी से मिला,निज देश है।
हुए गिरी, सरोवर,झील झरने संग वादियां भी नील वर्ण।
होता है प्रतीत मानों, सब आगये ज्यों इंदु शरण।

नीलम शर्मा

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 357 Views
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