Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Oct 2018 · 2 min read

“चाँदनी रात”

चाँद है, शब है, उनकी याद है, तनहाई है,
फिर कोई टीस, मेरे दिल की उभर आई है।

चाँदनी रात मेँ मिलने का, था क़रार हुआ,
शुक़्रिया उनका,हसीँ शब को जो दीदार हुआ।

चाँद के सँग-सँग, जैसे आफ़ताब आया,
जवाँ नहीं थे जो, उन पर भी गो शबाब आया।

चाँदनी रात में दमका था,वो शफ़्फ़ाफ़ बदन,
सँगमरमर ने ज्योँ पहना,कोई उजला परहन।

हुस्न शाइस्ता-ओ-तहज़ीब-ओ-अलम है शायद,
इक हसीँ ज़ुल्फ़ आ गई थी गो,बन के चिलमन।

देखकर मुझको ,जो हया सी आ गई उनको,
चाँद भी शर्म से, बादल मेँ छुप गया फिर तो।

कलियाँ हैरान थीँ, ये दूसरा है चाँद किधर,
हम भी दीदार करें, कर देँ कुछ औरोँ को ख़बर।

इतने में चाँद फिर ,बादल से निकल कर आया,
जिसपे मेरा था हक़,उसने भी सब को भरमाया।

फिर से बरसा है नूर ,चाँद का गुलिस्तां पर,
हम भी शादाँ हैं ,अपने चाँद की मलाहत पर।

हो के मदमस्त चली, बाद -ए-सबा है फिर से,
बोसा-ए-गुल कोई ,शबनम का हो क़तरा जैसे।

घुली है रँग-ओ-बू फ़िज़ा मेँ, गुलोँ की ऐसे,
हुई यकमुश्त बहारेँ होँ, मेहरबाँ जैसे।

यूँ परिन्दे भी उठ गए हैं , कुछ उनीँदे से,
चन्द भँवरे भी जग गए हैँ, कुछ ख़्वाबीदे से।

फूल कुछ रात की रानी के भी,खिले हैं अभी,
मोँगरा भी यहाँ, पीछे कहाँ रहा है कभी।

गुलोँ मेँ हरसिंगार पर, है जवानी आई,
देख ये बेला, चमेली पे भी बहार आई।

थी मुलाकात,पर फिर भी न कोई बात हुई,
हम थे चुप,उन पे हया,बन्दिश-ए-लब थी लाई।

याद भी उनकी जो आई,तो कब तनहा आई,
सँग कई ख़्वाब-ए-हसीँ-अहद-ए-गुजिश्ताँ लाई।

कुछ सितारे भी आ गए हैँ, गवाही देने,
उनके जैसी कोई कली, कभी खिली थी यहाँ।

ज़हन में अब भी तसव्वुर,उन्हीं का है “आशा”,
उन्हीं के नूर से रौशन है, यूँ मेरा तो जहाँ…!

11 Likes · 2 Comments · 956 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
View all
You may also like:
We Would Be Connected Actually
We Would Be Connected Actually
Manisha Manjari
3067.*पूर्णिका*
3067.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बुजुर्गो को हल्के में लेना छोड़ दें वो तो आपकी आँखों की भाषा
बुजुर्गो को हल्के में लेना छोड़ दें वो तो आपकी आँखों की भाषा
DrLakshman Jha Parimal
--बेजुबान का दर्द --
--बेजुबान का दर्द --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
गौर फरमाइए
गौर फरमाइए
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
There's nothing wrong with giving up on trying to find the a
There's nothing wrong with giving up on trying to find the a
पूर्वार्थ
रेस का घोड़ा
रेस का घोड़ा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कोई जब पथ भूल जाएं
कोई जब पथ भूल जाएं
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मुझे बदनाम करने की कोशिश में लगा है.........,
मुझे बदनाम करने की कोशिश में लगा है.........,
कवि दीपक बवेजा
रंजीत कुमार शुक्ल
रंजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet Kumar Shukla
तू ठहर जा मेरे पास, सिर्फ आज की रात
तू ठहर जा मेरे पास, सिर्फ आज की रात
gurudeenverma198
सांप्रदायिक उन्माद
सांप्रदायिक उन्माद
Shekhar Chandra Mitra
बात जो दिल में है
बात जो दिल में है
Shivkumar Bilagrami
वक़्त ने किया है अनगिनत सवाल तपते...
वक़्त ने किया है अनगिनत सवाल तपते...
सिद्धार्थ गोरखपुरी
हुनर मौहब्बत के जिंदगी को सीखा गया कोई।
हुनर मौहब्बत के जिंदगी को सीखा गया कोई।
Phool gufran
दोस्ती....
दोस्ती....
Harminder Kaur
*गृहस्थ संत स्वर्गीय बृजवासी लाल भाई साहब*
*गृहस्थ संत स्वर्गीय बृजवासी लाल भाई साहब*
Ravi Prakash
जाति आज भी जिंदा है...
जाति आज भी जिंदा है...
आर एस आघात
खुद की तलाश
खुद की तलाश
Madhavi Srivastava
उनको शौक़ बहुत है,अक्सर हीं ले आते हैं
उनको शौक़ बहुत है,अक्सर हीं ले आते हैं
Shweta Soni
💐अज्ञात के प्रति-129💐
💐अज्ञात के प्रति-129💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
'एक कप चाय' की कीमत
'एक कप चाय' की कीमत
Karishma Shah
अनचाहे अपराध व प्रायश्चित
अनचाहे अपराध व प्रायश्चित
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
मन की किताब
मन की किताब
Neeraj Agarwal
क्रांति की बात ही ना करो
क्रांति की बात ही ना करो
Rohit yadav
■ जितनी जल्दी समझ लो उतना बढ़िया।
■ जितनी जल्दी समझ लो उतना बढ़िया।
*Author प्रणय प्रभात*
मुसीबतों को भी खुद पर नाज था,
मुसीबतों को भी खुद पर नाज था,
manjula chauhan
*पेड़*
*पेड़*
Dushyant Kumar
मै श्मशान घाट की अग्नि हूँ ,
मै श्मशान घाट की अग्नि हूँ ,
Pooja Singh
"जाम"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...