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13 Jul 2017 · 1 min read

-चल आना अब लौट

चल आना अब लौट,आशा का नूर जगाना हैं,
न आया तो तु मेरे दिल का आशिक बेगाना हैं,,

किधर-किंचित किरणों मे अल्फाज छोड़ा हैं,
जहाँ सवेरा साथ होता था राह पथ मोड़ा है,,
आशा आँखों मे साझ रही नूर बन कहती है,
कब दिन आयेगा जब सुर-सरिता रूकती है,,
पथ अकेला ज्वाला धधक रही है ह्रदय में,
सादगी बना कोई करता, सहलेता ह्रदय में,,
तोड़-मोड़ चूका राह आँखे कहती आना है,
चल आना अब लौट…………………….. 1

सरिता को सागर में मिलते मैंने भी देखा है,
रवि किरणों का रोज आना- जाना देखा है,,
पथ दो थे एकनिराला पर बंजर में झोंखा है,
ह्रदय की काया हैं जग माया को परखा है,,
ह्रदय झंझीर लगा दी ह्रदय बुझती चमनी है,
विश्वास कह बताना,अन्तःआत्मा जगानी है,,
वो कुछ कहती इंसानियत तुझे लौट आना है,
चल आना अब लौट………………………2

आतप कहें बंधन अटूट पर टूटा तो गहरा है,
जड़ से तना बंधा पर कुछ ओर जहाँ हरा हैं,
उद्गारों से मंजिल मेरी आ झुकी उर कहता हैं,
अंधरूनी शूललगा,मंजिल अन्तःलिये रहता हैं,,
रण गर्जना कर लेता ह्रदय चाह संग बह लेता,
आशा जैसे प्यासा कोआ पणघट में देख लेता,
आशा हैं जैसे निड में बच्चे प्रत्याशा रहना हैं,
चल आना अब लौट…………………….. 3
चल आना अब लौट,आशा का नूर जगाना हैं।
न आया तो तु मेरे दिल का आशिक बैगाना हैं।।

रणजीत सिंह “रणदेव” चारण
मुण्डकोशियां
7300174927

Language: Hindi
500 Views
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