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11 May 2017 · 1 min read

चलो आज सहरा में कलियाँ खिला दें

अगर हम कहें . और वो मुस्कुरा दें
कसम से तो उन पर ये दुनिया लुटा दें
??
इशारे पे उनके ——-दिलो जां लुटा दें
वफाओं का मेरी ——अगरचे वफा दें
?
सुकूं गर मिला हो न घर को जलाकर
कहो तो ये हम अपना दिल भी जला दें
?
मुहब्बत खता है —-खता फिर तो की है
ये है आपका दिल ——जो चाहे सजा दें
??

तेरा नाम लेकर ———ही हम जी रहे हैं
ये चाहत है कुछ हमको इसका सिला दें
??
कहां मिलती दर्दे —— जिग़र की दवाई
किसी को पता हो ——तो जल्दी बता दें
??
तेरे चांद चेहरे ————का दीदार कर लें
अगर आप रुख से —–ये चिलमन हटा दें
??
तू बन जा सबा —–और हम बनके बादल
चलो आज सहरा —–में कलियाँ खिला दें
??
सलासल में कब —— तक बंधेगी मुहब्बत
अभी आज ————-सारी दीवारें गिरा दें
??
जभी मिलना ——– चाहो न आवाज देना
समझ लेंगे बस ——–चूड़ी -पायल बजा दें
??
हमें लेके चल —— जिंदगी उस जगह पर
जहां अपने हम —–सारे ग़म कओ भुला दें
??
गुज़र जाएं हद से ——-अभी आज “प्रीतम”
अगर आप थोड़ी ———-सी हिम्मत बढ़ा दें

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