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29 Apr 2017 · 1 min read

चलता रह घिसटता रह…. जीवन भर..!

भूल गया मैं अपना पथ और मंजिल भी
और ना रही जीवन मे कुछ भी
उत्साह और उमंग सी…

किंतु रुकना ठहरना , मौत से भी है बदतर। रीतेश!चलता रह घिसटता रह जीवन भर..

मत डर व्यंग्य या ईष्या के अवरोधों से तू,
बढता चल तू,झटकते हुए शब्द बाणों को।

क्षण में सब खत्म हो जाएंगे ये तेरे अवरोध,
विरोध में खड़े सब क्षण-भंगुर से..
रीतेश! चलता रह घिसटता रह जीवन भर..

यदि तू रुक पडेगा थक कर,
ईष्या और दम्भ से भरे लोगों के डर,
नाज तुझ पे करने वाले ही देखेंगे तुझ को हँस-हँस कर।
रीतेश! चलता रह घिसटता रह जीवन भर!

और मिट गया चलते चलते,
मंजिल पथ तय करते करते,

तुझे,तेरी संघर्ष याद रहेंगे लोग..
नाम तेरे रखेंगे सर आंखों पर।
रीतेश!चलता रह घिसटता रह जीवन भर!

~~~~रीतेश माधव

Language: Hindi
2 Likes · 486 Views
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