*चमत्कारी प्रयोग *(लधु कथा)
।।श्री परमात्मने नमः।।
एक पेशेन्ट याने मरीज के गले में अचानक खेलते हुए या जिस कारण से भी टेनिस की बॉल गले में फंस गई और उसे सांस लेने में बड़ी दिक्कत हो रही थी बहुत कोशिश करने के बाद भी नही निकल पाई तो वह डॉक्टर के पास गए वहाँ डॉक्टर की जगह कम्पाउंडर मौजूद था उसने भी बहुत कोशिश की लेकिन उस मरीज के गले से टेनिस की बॉल नही निकल पाई फिर कम्पाउंडर ने डॉक्टर को फोन लगाकर पूछा कि एक मरीज आया है उसके गले में टेनिस की बॉल फँस गई है और बहुत प्रयास करने के बावजूद वह निकल नही रही है।
मरीज भी हमारी मदद नही कर रहा है भरसक कोशिश करने के बावजूद भी टेनिस की बॉल निकल नही पा रही है कुछ उपाय बतलाईये
डॉक्टर ने फोन पर ही कहा कि मरीज के गले को मोर पंख से या किसी चिड़िया के पँखो से उसको गुदगुदाकर उस मरीज को हिला दो ताकि वह इधर उधर अपने शरीर को हिलाये डुलाये ।
डॉक्टर की बात सुनकर कम्पाउंडर ने ऐसा ही किया उस मरीज के गले के पास कुछ चिड़िया के पँखो से सहला कर धीरे धीरे गुदगुदाया गया तो मरीज हँसने लगा और टेनिस की बॉल गले से तुरन्त निकल गई ।
मरीज बहुत ही खुश हुआ और अपने घर चला गया उसके बाद कम्पाउंडर ने डॉक्टर साहब को फिर फोन लगाकर बतलाया कि उस मरीज के गले से टेनिस की बॉल निकल गई है लेकिन मुझे आपसे अनुरोध है कि आप उसका नुस्खा बताएं कि आपने यह तरीका कैसे निकाला है ।
इस बात पर डॉक्टर साहब पहले मुस्कराये फिर कहने लगे मैने तो यूँ ही ऐसे ही बोल दिया था।
क्योंकि जब तुम्हारा फोन आया तो मैं अपने कार्य में व्यस्त था और यूँ ही जो उस वक्त मेरे मन में दिमाग पर जो बातें सूझी वह मैने कह दिया था।
परन्तु यह नुस्खा बड़ा कामयाब साबित हो गया और मरीज को भी राहत मिली ये तो इतेफाक की बात हुई थी मुझे उस समय दिमाग में जो बातें सूझी वह बतला दिया था परन्तु यह नया प्रयोग कारीगर सिद्ध हो गया है और मरीज की जान बचाने के लिए कभी कभी महज कुछ समय में ही निर्णय अच्छा परिणाम दे जाती है लेकिन अचानक से ही हो गया है लेकिन हमें रिस्क नही लेना चाहिए।
वैसे तो कभी कभी कुछ समझ में नही आता है तो कुछ नही करने से तो कुछ सोच समझकर या तुरन्त शीघ्र ही कोई निर्णय लिया जा सकता है ।
यह चतकारिक प्रयोग कभी कभी कारीगर सिद्ध हो जाता है।
श्रीमती शशिकला व्यास …
भोपाल
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।। राधैय राधैय जय श्री कृष्णा ।।