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13 Oct 2021 · 1 min read

तंरगों

जय माँ शारदा
माहिया छंद

जीवन सुंदर कितना
देखो हरा-भरा
ये घर मेरा इतना

गलती सब माफ़ करो
भुल गलती मेरी
दुआ भरा हाथ धरो

अंधकार दूर हटे
जीवन से मेरे
कभी रौशनी न घटे

ये धार तरंगों की
ज्ञान की उड़े
ये डोर पतंगों की

सबसे बंधन तोड़ा
देखो प्रेम भरा
तुझसे बंधन जोड़ा

बाँधूँ पग में पायल
नाच नाच के पग
करलूँ मैं अब घायल

शीला गहलावत सीरत

1 Like · 268 Views
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