??घर संसार की बातें??
आओ सिखा दूँ मैं,कुछ व्यवहार की बातें।
याद हमेशा तुम रखना,अपने यार की बातें।।
माता-पिता की सेवा और सब धर्मों का मान।
गुरुजनों का आदर करना,हैं संस्कार की बातें।।
जीवन में खुशियाँ भरना,मिलना और सँवरना।
ये सब सिखाते हैं बंधु,तीज-त्योहार की बातें।।
हिंदू,मुस्लिम,सिक्ख चाहे हो कोई इसाई भैया।
मिलजुल रहें धरा पर,करें बस प्यार की बातें।।
वादे करना जनता से,करके फिर भूल जाना।
शोभा नहीं देती हैं ये,किसी सरकार की बातें।।
मैदान में जो उतरते हैं,करते हैं जीवन-संघर्ष।
वो नहीं करते कभी भी,जीत-हार की बातें।।
लड़ना-झगड़ना तो बंधु,है घाटे का एक सौदा।
क्यों करते हो फिर तुम,तीर-तलवार की बातेंं।।
माता-पिता,गुरु का,कहना कभी न टालो तुम।
ये सब कहते हैं भैया,लाख-हज़ार की बातें।।
पहले तोलो फिर बोलो,जग में मान बढ़ेगा।
फल मीठा देती हैं ये,सद् व्यवहार की बातें।।
क्यों रूठे हो”प्रीतम”,आओ गले लग जाओ।
आज होंगी जी-भरके,मोहब्बत-प्यार की बातें।।
राधेयश्याम बंगालिया “प्रीतम”कृत
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