Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Aug 2019 · 1 min read

घर आ जाना।

गजल
221 1222 221 1222

जब दर्द सताये तुम्हें तो घर आ जाना।
आवाज लगाये तुम्हें तो घर आ जाना।

आबाद रहेगा तुम्हारा इतिबार सदा,
जो शहर न भाये तुम्हें तो घर आ जाना।

उन्वाने-ख़ुदा देकर तनहा न करो मुझको,
कोई समझाये तुम्हें तो घर आ जाना।

हम दोनों मुसाफ़िर हैं इस रेत के दरिया के,
वो याद दिलाये तुम्हें तो घर आ जाना।

मित्रता अत्र चाहिए इश्फ़ाक़ न इल्लत से,
गर भूख जगाये तुम्हें तो घर आ जाना।

घर-बार बिकाऊँ है खुद को खुश रखने में,
पैगाम सुनाये तुम्हें तो घर आ जाना।

तुम बिन बगिया है सूनी जामुन वाली भी,
ये “गाँव” बुलाये तुम्हें तो घर आ जाना।

———:——–
आबाद= बसा हुआ, प्रसन्न, समृद्ध।
इतिबार(एतबार)= विश्वास, भरोसा, आसरा।
अत्र= सुगंधित।
इश्फ़ाक़= दया, अनुकम्पा, दयालुता।
इल्लत= दोष, बुरी आदत, बीमारी।

Rishikant Rao Shikhare
18/06/2019

1 Like · 505 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बाल कविता: नानी की बिल्ली
बाल कविता: नानी की बिल्ली
Rajesh Kumar Arjun
"गुलजार"
Dr. Kishan tandon kranti
डर
डर
अखिलेश 'अखिल'
बेटी
बेटी
Vandna Thakur
हे आशुतोष !
हे आशुतोष !
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
*राजा दशरथ (कुंडलिया)*
*राजा दशरथ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
गुरु दीक्षा
गुरु दीक्षा
GOVIND UIKEY
मुद्दत से संभाला था
मुद्दत से संभाला था
Surinder blackpen
కృష్ణా కృష్ణా నీవే సర్వము
కృష్ణా కృష్ణా నీవే సర్వము
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
■ सार संक्षेप...
■ सार संक्षेप...
*Author प्रणय प्रभात*
समय सबों को बराबर मिला है ..हमारे हाथों में २४ घंटे रहते हैं
समय सबों को बराबर मिला है ..हमारे हाथों में २४ घंटे रहते हैं
DrLakshman Jha Parimal
मैंने फत्ते से कहा
मैंने फत्ते से कहा
Satish Srijan
प्रीति
प्रीति
Mahesh Tiwari 'Ayan'
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
I can’t be doing this again,
I can’t be doing this again,
पूर्वार्थ
कितनी हीं बार
कितनी हीं बार
Shweta Soni
*फितरत*
*फितरत*
Dushyant Kumar
जग में उदाहरण
जग में उदाहरण
Dr fauzia Naseem shad
💃युवती💃
💃युवती💃
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
दोहे- उड़ान
दोहे- उड़ान
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
भगतसिंह ने कहा था
भगतसिंह ने कहा था
Shekhar Chandra Mitra
अभी कुछ बरस बीते
अभी कुछ बरस बीते
shabina. Naaz
पिंजरे के पंछी को उड़ने दो
पिंजरे के पंछी को उड़ने दो
Dr Nisha nandini Bhartiya
कता
कता
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
Hum tumhari giraft se khud ko azad kaise kar le,
Hum tumhari giraft se khud ko azad kaise kar le,
Sakshi Tripathi
*गलतफहमी*
*गलतफहमी*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
*राम मेरे तुम बन आओ*
*राम मेरे तुम बन आओ*
Poonam Matia
शाकाहार बनाम धर्म
शाकाहार बनाम धर्म
मनोज कर्ण
माँ सच्ची संवेदना, माँ कोमल अहसास।
माँ सच्ची संवेदना, माँ कोमल अहसास।
डॉ.सीमा अग्रवाल
'अकेलापन'
'अकेलापन'
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
Loading...