Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Aug 2018 · 1 min read

गज़ल-सागर ओ मीना

मंजर-ए-तमाशा -ए -दुनिया मेरे आगे
होता है हर रोज़ नया तमाशा मेरे आगे

इक खेल ए हार जीत है मासूम ज़िन्दगी
क़िस्मत भी खिलाती है क्या गुल मेरे आगे

गुम नाम सूरत-ए-हाल है नहीं मुझे मंज़ूर
मिट गई देखते देखते मेरी हस्ती मेरे आगे

क़श्तियां मेरी रह गयीं मौजों से टकरा के सर
किया करते थे सलाम कभी सैलाब मेरे आगे

मत पूछ के मेरा हाल क्या है दिलभर तेरे बगैर
बनके गैर अपने लूट रहे मेरी दौलत मेरे आगे

खामोश होकर देखिए अंदाज़-ए-गुले गुफ्त्गु
छलके है जैसे पैमाना-ए-सहबा मेरे आगे

होगा गुमाने रश्क़ अगरचे मैं कुछ कहूं तो
बेशक लिया करेंगे नाम उनका मेरे आगे

ज़मीर मेरा रोके है तो खींचे है मुझे गुनाह
जाऊं किधर अभी तो ये मसला मेरे आगे

आशना है दिल तेरा हम साक़ी तेरे गुलाम
किस किस को बुरा कहती दुनिया मेरे आगे

वस्ले यार की आरजु में दिन कैसे गुज़ारें
शब-ए-हिज्र के बाद है शबे वस्ल मेरे आगे

होंगे नहीं खतम अभी ईम्तिहांन मेरे यहां
आया ना इस सफर में क्या-क्या मेरे आगे

आंखों में चमक होटो पे लरज की वजह तुम हो
बिखरे पड़े हैं जब तलक ये पैमाने मेरे आगे

जीना हुआ मुहाल सागर ओ मीना बगैर
पूछो जरा ‘ग़ालिब ‘ से अच्छा मेरे आगे

252 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Are you strong enough to cry?
Are you strong enough to cry?
पूर्वार्थ
लड़की कभी एक लड़के से सच्चा प्यार नही कर सकती अल्फाज नही ये
लड़की कभी एक लड़के से सच्चा प्यार नही कर सकती अल्फाज नही ये
Rituraj shivem verma
प्रेम अटूट है
प्रेम अटूट है
Dr. Kishan tandon kranti
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
ये मतलबी दुनिया है साहब,
ये मतलबी दुनिया है साहब,
Umender kumar
चोर कौन
चोर कौन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
समय के हाथ पर ...
समय के हाथ पर ...
sushil sarna
लगाओ पता इसमें दोष है किसका
लगाओ पता इसमें दोष है किसका
gurudeenverma198
अहिल्या
अहिल्या
Dr.Priya Soni Khare
मोल
मोल
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
क्या बचा  है अब बदहवास जिंदगी के लिए
क्या बचा है अब बदहवास जिंदगी के लिए
सिद्धार्थ गोरखपुरी
मेरे मरने के बाद
मेरे मरने के बाद
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
आप इतना
आप इतना
Dr fauzia Naseem shad
#लघुकविता
#लघुकविता
*Author प्रणय प्रभात*
वो किताब अब भी जिन्दा है।
वो किताब अब भी जिन्दा है।
दुर्गा प्रसाद नाग
आई होली आई होली
आई होली आई होली
VINOD CHAUHAN
दादी दादा का प्रेम किसी भी बच्चे को जड़ से जोड़े  रखता है या
दादी दादा का प्रेम किसी भी बच्चे को जड़ से जोड़े रखता है या
Utkarsh Dubey “Kokil”
परमात्मा
परमात्मा
ओंकार मिश्र
प्यार और विश्वास
प्यार और विश्वास
Harminder Kaur
Dr अरूण कुमार शास्त्री
Dr अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तारिणी वर्णिक छंद का विधान
तारिणी वर्णिक छंद का विधान
Subhash Singhai
2939.*पूर्णिका*
2939.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हमारी सोच
हमारी सोच
Neeraj Agarwal
जो मनुष्य सिर्फ अपने लिए जीता है,
जो मनुष्य सिर्फ अपने लिए जीता है,
नेताम आर सी
राजनीति के क़ायदे,
राजनीति के क़ायदे,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
सबूत- ए- इश्क़
सबूत- ए- इश्क़
राहुल रायकवार जज़्बाती
किन्तु क्या संयोग ऐसा; आज तक मन मिल न पाया?
किन्तु क्या संयोग ऐसा; आज तक मन मिल न पाया?
संजीव शुक्ल 'सचिन'
माँ महागौरी है नमन
माँ महागौरी है नमन
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
हार को तिरस्कार ना करें
हार को तिरस्कार ना करें
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Loading...