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18 Nov 2016 · 1 min read

गज़ल :– मुझको पाने की इबादत की थी मेरे यार नें ॥

गज़ल :– मुझको पाने की इबादत की थी मेरे यार नें ॥

बहर :- 2122-2122-2122-212

माँग लूँ उसको खुदा से दे के बदले जान भी ।
मुझको पाने की इबादत की थी मेरे यार नें ॥

हर तरफ़ चर्चे बहुत हैं और बातें प्यार की ।
प्यार में ऐसी महारथ की थी मेरे यार नें ॥

भूलवश मैं यार का दिल तोड़ दूँ मुंकिन नहीँ ।
प्यार में हर पल शहादत दी थी मेरे यार नें ॥

मैं यहां सब कुछ भुला बस साथ चाहूं यार का ।
साथ चलने की ये आदत की थी मेरे यार नें ॥

बेच दूँ खुद को “अनुज” शर्तों में अपने प्यार के ।
बेपना पाकी मुहब्बत की थी मेरे यार नें ॥

अनुज तिवारी “इंदवार”

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