कविता :- दुःख तो बहुत है मगर.. (विश्व कप क्रिकेट में पराजय पर)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जब चांद चमक रहा था मेरे घर के सामने
खिलौने वो टूट गए, खेल सभी छूट गए,
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
हर लम्हा दास्ताँ नहीं होता ।
*जिंदगी के हाथो वफ़ा मजबूर हुई*
गज़ब की शीत लहरी है सहन अब की नहीं जाती
श्रीराम गिलहरी संवाद अष्टपदी
इश्क की गली में जाना छोड़ दिया हमने
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
सुनो सरस्वती / MUSAFIR BAITHA
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वादा करती हूं मै भी साथ रहने का
" नयन अभिराम आये हैं "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "