गौ माता
गो माता
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ममता की परछाई तेरी महिमा न्यारी
दया भाव की देवी कितनी लगली प्यारी
पालन पोषण करती है तूं सबकी माता
पौराणिक पुस्तक भी गायें तेरी गाथा
कहते वेद – पुराण तुझे जग की माता
सब देवों का अंश मिले तुझमें गो माता।
कामधेनु है नाम समुद्र मंथंन से आई
अमृत जैसा दूध पिला जगत में छाई
खुद खाती है खास हमे तूं दूध है देती
फिर भी हमसे कभी नहीं माँ कुछ लेती
तुझसे बड़ा न दानी कोई ना कोई दाता
सब देवों का अंश मिले तुझमे गो माता।
दूध – दधि -घी- मखंन जैसा अमृत देती
तेरे गोबर से बनती ऊपजाऊ खेती
देवलोक के देव भी तेरी महिमा गाते
तेरी सेवा करके नर भव से तर जाते
बछड़ा तेरा कृषक के काम है आता
सब देवों का अंश मिले तुझमे गो माता।
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पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
?? मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार–८४५४५५
नमन ??