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11 Jan 2017 · 1 min read

** गोरड़ी सावण्यों आयो ***

*************
प्रीत रे सुगणा ने लेन
इब तो आजा गोरड़ी
आवण लाग्यो मेह ।।
क्यूं तरसावे हिवड़े ने तूं
जळ-जळ होसी राख़
कोयलड़ी आ बोले मीठी
पण थां बिन लागे खारी
जद-जद आ बोले है वाणी
कान फाटे अर
आंख्या में आवे पाणी
बीजळी चमके है इसड़ी
जण आग लगावे पाणी
थां बिन कियां कटसी राणी
सावणियां री तीज
रुपाळी गणगौर गयी
गयी आखा री तीज
इब तो आजा गोरड़ी
जावण लाग्यो जीह
गोरड़ी सावण्यों आयो
प्रीत रे सुगणा ने लेन ।। ?मधुप बैरागी

Language: Hindi
284 Views
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