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24 Apr 2017 · 1 min read

गुहार

एक छोटा सा अर्भक हूँ मै,मुझे अपने हाथो से उठा दो
अपने प्यार की छाँव मे,मेरे सारे घाव भर दो
गिरा हूँ जमीन परइसे मेरा बिस्तरा बना दो
दर्द है एक सीने मेमुझे चैन की चादर ओढ़ा दो
छलनी हुए है मेरे हाथ इनसे जख्मों का जाल हटा दो
तूफान भी चला आए अगरइन बाजुओ मे वो साहस का दम भर दो
भीड़ चलूँ उस वक्त से जिसे ठुकराता मै चला जाऊँ
मुसीबत भरी सुनामी को मै प्यासे की तरह पीता चला जाऊँ
पथ पर अकडते काँटो को नवैजंती का गुलाम बना दो
अगर शूल भी जो फूल में बदल जाए
तो उस उस फूल को मेरा हमराही बना दो
दूर फेंक तम को रोशनी तलाशता मै जाऊँ
नयन खुले तो नींद सेसवेरे का पहर नजरों पर पाऊँ
न शक्ल हो न सूरत होमुझमे कोई ऐसा जादू भर दो
लिखावट से रुप झलक जाएऔर शक्लों पर एक झूठा नकाब हो
नजरें नदी की तीर बन जाए शीत जल का बहाव मिल जाए
निहार लूँ उस रास्ते को जिस पर मेरा शरीर बहता चला जाए
क्या मागूँ मै अब? कुछ कर गुजरने की क्षमता भर दो
हासिल तो बहुत बड़ी चीज हैमेहनत का प्याला मुझे पीला दो
गुहार है ये उम्र भर कीतन को मेरे सदृढ़ कर दो
आँखो की आभा मिले अहंकार का रास्ता बंद कर दो …..
…. शिवम

Language: Hindi
1 Like · 365 Views
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