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4 Feb 2021 · 1 min read

गुल गुलाब हो तुम

***गुल गुलाब हो तुम**
*******************
खिला गुल गुलाब हो तुम,
हुस्न आफ़ताब हो तुम।

हो जाए बेकाबू मन,
सुलगता सैलाब हो तुम।

पल में बहक सा जाए,
मौसम खराब हो तुम।

चहकता रहता है मन,
चीज लाजवाब हो तुम।

चमकती रहती हो सदा,
रोशनी माहताब हो तुम।

जो कभी समझ न आए,
उलझा जवाब हो तुम।

हल न कोई आए नजर,
जटिल हिसाब हो तुम।

कैसे हम यकीन करें,
झूठे बेहिसाब हो तुम।

मनसीरत कहता फिरे,
बंद हुई किताब हो तुम।
******************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 224 Views
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