गुलाब
**** गुलाब (बालगीत) ****
***** मात्रा भार-16 ******
गुलाब फूल बहुत मन भाता,
खुशबू से बगिया महकाता।
काँटों से भरी हुई डाली,
रखवाली करता है माली,
बगिया को हैं खूब सजाता।
गुलाब फूल बहुत मन भाता।
बच्चों को है सुन्दर लगता,
सुंदरता से दिल को हरता,
जो भी देखे उर खिल जाता।
गुलाब फूल बहुत मन भाता।
बालक ताक प्रफुल्लित होते,
देख स्वप्न जागते सोते,
हिय बड़ा ही अलौकिक होता।
गुलाब फूल बहुत मन भाता।
पुष्पों का कहते सब राजा,
महक बुलाती जल्दी आजा,
खुशियों की वर्षा बरसाता।
गुलाब फूल बहुत मन भाता।
जवां दिलो की प्रेम निशानी,
राजा को मिल जाती रानी,
प्यार का हमें ढंग सिखाता।
गुलाब फूल बहुत मन भाता।
बाग बगीचे खूब सजाए,
प्रेम गीत का राग सुनाए,
सोये हृदय रहता जगाता।
गुलाब फूल बहुत मन भाता।
भँवरे भी रहे मंडराते,
अनुराग का है गीत गाते,
सुध बुध खोता आता जाता।
गुलाब फूल बहुत मन भाता।
जो पाटल तोड़ना चाहता,
हाथों में कांटे है खाता,
दूर से ताक पाठ पढ़ाता।
गुलाब फूल बहुत मन भाता।
रंग बिरंगी इसकी शोभा,
छटा निराली मोहक आभा।
मनोहर मन मोहन सुहाता।
गुलाब फूल बहुत मन भाता।
मनोरम बहुत रंग बिरंगा,
मनसीरत कहे कई रंगा।
स्वर्गतुल्य दर्श करवाता।
गुलाब फूल बहुत मन भाता।
गुलाब फूल बहुत मन भाता।
खुशबू से बगिया महकाता।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)