*”गुलाब “*
“गुलाब “
सूर्योदय में ,
सुरभित सुमन ,
खिला गुलाब ,
कांटो में मुस्काता,
हर्षित मन ,
उपवन महकाता ,
सुंगध बिखेरता।
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तितली उड़े ,
फूलों पे मंडराते ,
डाल डाल पे ,
देख देख मुस्काते,
भँवरे घूमे ,
पराग बटोरते ,
गीत गुनगुनाते।
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रंग बिरंगा ,
खिला फूल गुलाब ,
फूलों का राजा ,
चमन महकाते ,
बिखरे रंग ,
सुगंध बिखराते,
चमन महकाते।
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चाँद सूरज ,
देखते सुख पाते ,
शोभा निराली ,
बगिया महकाते ,
पूजा के फूल ,
प्रभु रज सजते ,
खुशबू बिखराते।
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श्रद्धा भाव से ,
ईश्वर समर्पित,
श्रद्धा सुमन ,
चाहत अभिलाषा ,
वीर योद्धा के ,
शहादत पे चढ़ाते ,
शोक व्यक्त जताते।
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चाह नही है,
सुरबाला चोटी पे ,
गूंथ सजाऊँ ,
वीर शहादत पे ,
मुस्कराता ,
मुस्कान बिखेरता ,
गुलाब महकता।
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शशिकला व्यास