Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 May 2017 · 1 min read

गुलमोहर तुम हो शहजादे

गुलमोहर तुम हो शहजादे
तुमको मेरी राधे राधे ,
तप्त हवाओं संग खेलते
बने बड़े ही सीधे सादे ।

मस्तक सोहें पुष्प अति सुँदर
रँग है जिनका लाल मनोहर
नहीं झुलसते कड़ी धूप में
कितने मोहक अंदर बाहर ।

तुम सूनी राहों की शोभा
तुमने सबका ही मन मोहा
सहनशक्ति में प्रथम तुम्ही हो
सबने तुम्हारा माना लोहा ।

तरु जगत का श्रंगार हो तुम
उसकी अलग पहचान हो तुम
बनकर सोनी लाल चुनरिया
सजा रहे आँचल उसका तुम ।

डॉ रीता
आया नगर,नई दिल्ली- 47

Language: Hindi
357 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Rita Singh
View all
You may also like:
पत्थर की लकीर नहीं है जिन्दगी,
पत्थर की लकीर नहीं है जिन्दगी,
Buddha Prakash
■ आज की लघुकथा
■ आज की लघुकथा
*Author प्रणय प्रभात*
ग़ज़ल - फितरतों का ढेर
ग़ज़ल - फितरतों का ढेर
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
रात भर नींद भी नहीं आई
रात भर नींद भी नहीं आई
Shweta Soni
अच्छा लगने लगा है !!
अच्छा लगने लगा है !!
गुप्तरत्न
वह मुस्कुराते हुए पल मुस्कुराते
वह मुस्कुराते हुए पल मुस्कुराते
goutam shaw
कोई नहीं देता...
कोई नहीं देता...
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
.....*खुदसे जंग लढने लगा हूं*......
.....*खुदसे जंग लढने लगा हूं*......
Naushaba Suriya
लौट कर न आएगा
लौट कर न आएगा
Dr fauzia Naseem shad
आग से जल कर
आग से जल कर
हिमांशु Kulshrestha
नारायणी
नारायणी
Dhriti Mishra
गीत... (आ गया जो भी यहाँ )
गीत... (आ गया जो भी यहाँ )
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
संत कबीर
संत कबीर
Lekh Raj Chauhan
भगतसिंह का क़र्ज़
भगतसिंह का क़र्ज़
Shekhar Chandra Mitra
कभी वैरागी ज़हन, हर पड़ाव से विरक्त किया करती है।
कभी वैरागी ज़हन, हर पड़ाव से विरक्त किया करती है।
Manisha Manjari
‘ विरोधरस ‘ [ शोध-प्रबन्ध ] विचारप्रधान कविता का रसात्मक समाधान +लेखक - रमेशराज
‘ विरोधरस ‘ [ शोध-प्रबन्ध ] विचारप्रधान कविता का रसात्मक समाधान +लेखक - रमेशराज
कवि रमेशराज
*नज़्म*
*नज़्म*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
प्यारा भारत देश है
प्यारा भारत देश है
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
तुम अपना भी  जरा ढंग देखो
तुम अपना भी जरा ढंग देखो
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दो शे'र
दो शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
ना वह हवा ना पानी है अब
ना वह हवा ना पानी है अब
VINOD CHAUHAN
मुक्तक-
मुक्तक-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
2584.पूर्णिका
2584.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
हम हँसते-हँसते रो बैठे
हम हँसते-हँसते रो बैठे
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
आँखें बतलातीं सदा ,मन की सच्ची बात ( कुंडलिया )
आँखें बतलातीं सदा ,मन की सच्ची बात ( कुंडलिया )
Ravi Prakash
आरक्षण
आरक्षण
Artist Sudhir Singh (सुधीरा)
"अन्तर"
Dr. Kishan tandon kranti
हमारे जख्मों पे जाया न कर।
हमारे जख्मों पे जाया न कर।
Manoj Mahato
" खुशी में डूब जाते हैं "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
*
*"मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम"*
Shashi kala vyas
Loading...