गुरु-पर्व लोहड़ी की बधाइयाँ
अहसासों के समंदर में तैरने का मन करता है।
पावन पर्व लोहड़ी पर विस करने का मन करता है।।
मूमफली फोड़ो बादाम निकले ऐसा प्रयत्न फल हो।
परवर दिगार से यही दुवा करने का मन करता है।
गुड़ से मीठी ज़ुबान हो मेलमिलाप शान हो यारो!
हृदय में यही एक भावना भरने का मन करता है।।
जैसे संदेश दे रहे हो अनुकरणीय बनो आज से।
फूल देख ज्यों फूलों-सा संवरने का मन करता है।।
पर्व प्रीत की परिपाटी लिए हुए आते हैं सुनिए।
इस प्रीत-गर्व में निखारने निखरने का मन करता है।।
दुल्ला भट्टी डाकू ने बचाई आबरू बेटियों की।
दौर वही आज से इख़्तियार करने का मन करता है।।
शीत ऋतु की विदाई और बसंत के आगमन का जश्न।
हृदय में एक सौगात-सा भरने का मन करता है।।
मुगलकाल से चलाई जिसने परंपरा रिश्तों की है।
डाकू की मानवता को नमन करने का मन करता है।।
लोहड़ी पर्व की शुभकामनाएँ प्रीतम देता सब को।
गले लगा मानो बधाइयाँ देने का मन करता है।।
आर.एस.बी.प्रीतम
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Once again happy lohadi
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