Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Apr 2017 · 2 min read

गुरु अंगद देव

सिखों के दूसरे गुरु अंगददेव साहित्य-प्रेमी ही नहीं, ढोंग और आडम्बर के घोर विरोधी थे। अपने जन्म के नाम लहनासिंह के रूप में गुरुजी ने गुरुनानक की इतनी सेवा-सुश्रषा की कि नानकजी ने प्रसन्न होकर आपका नाम गुरु अंगद देव ही नहीं रखा बल्कि सिखों की गुरु गद्दी के योग्य मानकर, कठिन परीक्षा के उपरांत गुरु गद्दी सौंप दी। गुरुनानक के उत्तराधिकारी के रूप में आपने गुरुवाणी के प्रचार के उत्तरदायित्व को ही नहीं संभाला, गुरुवाणी का कई भाषाओं में अनुवाद कराया। गुरु अंगददेव ने सबसे महत्वपूर्ण कार्य यह किया कि सुल्तानपुर निवासी भाई पेड़े मोखे छत्री से सम्वत 1597 में गुरुवाणी को गुरुमुखी अक्षरों में लिखवाकर गुरुमुखी भाषा की शुरुआत की।
गुरु अंगददेव अलौकिक शक्तियों के धनी थे और अच्छे भविष्यवक्ता भी। आषाढ़ सम्वत् 1597 में जब सासाराम के शासक से कन्नौज में दिल्ली का मुगल बादशाह हुमायूँ युद्ध में परास्त हो गया तो उसने भागकर गुरु अंगददेव की शरण ली। गुरुजी उस समय खंडूर में रहकर साधनारत थे। हुमायूं गुरुजी को नमस्कार कर उनके सम्मुख खड़ा हो गया। हुमायूं को खड़े-खड़े दस मिनट हो गये किन्तु गुरुजी को फिर भी समांधिलीन देखकर हुमायूं अपने को अपमानित महसूस कर क्रोध से आग-बबूला हो गया। उसने गुस्से में भरते हुए गुरुजी की हत्या करने के लिये म्यान से तलवार बाहर निकाल ली। तब तक गुरुजी समाधि से जाग चुके थे। जब हुमायूं गुरुजी पर वार करने को आगे बढ़ा तो गुरुजी ने बिना धैर्य खोये शान्त भाव के साथ हूमायूँ से कहा-‘‘ बादशाह तुमने शेरशाह के समक्ष इस तलवार के वार का प्रयोग क्यों नहीं किया? जो तलवार शेरशाह के सम्मुख खोल से बाहर न आ सकी, उस तलवार का प्रयोग तुम ईश्वर-भक्तों, संतो-फकीरों पर आखिर क्यों करना चाहते हो? फकीर की हत्या कर तुम्हें क्या मिलेगा। फकीर घृणा के नहीं श्रद्धा के पात्र होते हैं।’’
गुरुजी के मधुर और शीतल वचन सुनकर हुमायूं को अपनी भूल का एहसास हो उठा। उसने तलवार फैंक दी और गुरुजी के चरणों पर गिरकर मुआफी मांगने लगा। गुरुजी दया और करुणा के सागर थे, अतः उन्होंने हुमायूं को क्षमादान में क्षणिक भी विलम्ब न किया और कहा-‘‘ बादशाह यदि तुम हमारे ऊपर वार करने के लिये आज तलवार न निकालते तो आज ही तुम्हें मनोवांछित फल मिलता। तुम अपने खोये राज्य के अधिकारी बन जाते। आज चूँकि तुमने अहंकार के वशीभूत होकर गुरुगद्दी का अपमान किया, अतः अब तुम्हें अपने खोये राज्य के लिय बारह साल और संघर्ष एवं तैयारी करनी पड़ेगी। तभी तुम्हें तुम्हारा राज्य वापस मिलेगा।
——————————————————————–
+15/109, ईसानगर, निकट-थाना सासनी गेट, अलीगढ़

Language: Hindi
Tag: लेख
295 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रूह मर गई, मगर ख्वाब है जिंदा
रूह मर गई, मगर ख्वाब है जिंदा
कवि दीपक बवेजा
एक generation अपने वक्त और हालात के अनुभव
एक generation अपने वक्त और हालात के अनुभव
पूर्वार्थ
कौड़ी कौड़ी माया जोड़े, रटले राम का नाम।
कौड़ी कौड़ी माया जोड़े, रटले राम का नाम।
Anil chobisa
बहता पानी
बहता पानी
साहिल
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी कई मायनों में खास होती है।
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी कई मायनों में खास होती है।
Shashi kala vyas
है जरूरी हो रहे
है जरूरी हो रहे
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
विरह
विरह
नवीन जोशी 'नवल'
The stars are waiting for this adorable day.
The stars are waiting for this adorable day.
Sakshi Tripathi
निजी विद्यालयों का हाल
निजी विद्यालयों का हाल
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
गुज़रा हुआ वक्त
गुज़रा हुआ वक्त
Surinder blackpen
तेरी हुसन ए कशिश  हमें जीने नहीं देती ,
तेरी हुसन ए कशिश हमें जीने नहीं देती ,
Umender kumar
मियाद
मियाद
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
आपको हम
आपको हम
Dr fauzia Naseem shad
भारत
भारत
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
मजे की बात है
मजे की बात है
Rohit yadav
बहुत से लोग आएंगे तेरी महफ़िल में पर
बहुत से लोग आएंगे तेरी महफ़िल में पर "कश्यप"।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
खुद को संवार लूँ.... के खुद को अच्छा लगूँ
खुद को संवार लूँ.... के खुद को अच्छा लगूँ
सिद्धार्थ गोरखपुरी
चिल्हर
चिल्हर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कैसी
कैसी
manjula chauhan
अपने बच्चों का नाम लिखावो स्कूल में
अपने बच्चों का नाम लिखावो स्कूल में
gurudeenverma198
प्रेम में राग हो तो
प्रेम में राग हो तो
हिमांशु Kulshrestha
भारत के बच्चे
भारत के बच्चे
Rajesh Tiwari
3115.*पूर्णिका*
3115.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*कहो हम शस्त्र लेकर वंचितों के साथ आए हैं (मुक्तक)*
*कहो हम शस्त्र लेकर वंचितों के साथ आए हैं (मुक्तक)*
Ravi Prakash
भूख
भूख
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
माँ...की यादें...।
माँ...की यादें...।
Awadhesh Kumar Singh
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए।
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए।
Manisha Manjari
आजादी..
आजादी..
Harminder Kaur
दोहा -स्वागत
दोहा -स्वागत
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
विषय सूची
विषय सूची
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
Loading...